बदायूं जिले के लोगों की नजरों में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का सम्मान निरंतर घट रहा है। सीबीआई शब्द कान में पहुंचते ही गर्व की अनुभूति होती थी, उस सीबीआई का नाम सुनते ही लोग कहने लगे हैं कि जिस प्रकरण की ऐसी-तैसी करानी हो, उस प्रकरण की जाँच सीबीआई को दे देना चाहिए।
बदायूं जिले से जुड़े प्रकरणों में सीबीआई नाकाम सी ही साबित होती रही है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुए कटरा सआदतगंज कांड में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। गुप्ता दंपत्ति हत्याकांड में सीबीआई अभी तक कुछ नहीं कर पाई है। एनआरएचएम घोटाले में सीबीआई लंबा समय गुजरने के बाद भी आरोपियों को नहीं खोज पा रही है। उमेश यादव कांड में सीबीआई जहाँ की तहां ही फंसी हुई है।
जेएनयू का लापता छात्र नजीब अहमद बदायूं का ही मूल निवासी है, यह प्रकरण भी सीबीआई को सौंपा गया, इसमें भी सीबीआई क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है, जिस पर परिजन और अन्य तमाम संगठन आपत्ति दर्ज करा चुके हैं। बदायूं से जुड़े अधिकांश प्रकरणों में सीबीआई की भूमिका ऐसी रही है कि उसका सम्मान बदायूं के लोगों की नजरों में घट गया है। लोग तो यहाँ तक कहने लगे हैं कि सीबीआई की तुलना में पुलिस ही बेहतर है, उससे कम से कम सवाल तो किये जा सकते हैं पर, सीबीआई ने ऐसी दहशत फैला रखी है कि उससे सवाल भी नहीं किये जा सकते।
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