दिल्ली स्थित एम्स में दुनिया भर में विख्यात 93 वर्षीय कवि गोपालदास नीरज का निधन हो गया। नीरज पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। बुधवार की शाम को हालत बिगड़ने पर उन्हें आगरा से बेटी कुंदनिका शर्मा द्वारा दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल लाया गया था, उन्हें ट्रामा सेंटर के आईसीयू में भर्ती कराया गया था, इससे पहले उन्हें सांस लेने में समस्या हुई तो, उन्हें आगरा में ही भर्ती कराया गया, जहाँ उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। फेफड़ों में संक्रमण बढ़ने पर उन्हें सांस लेने में लगातार समस्या हो रही थी, जिसके बाद उन्हें एम्स ले जाया गया।
साहित्य जगत के उच्चतम शिखर पर विराजमान नीरज को पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। मंच पर मजबूत पकड़ रखने वाले नीरज की उतनी ही धाक बॉलीवुड में भी है। दिल आज शायर है गम आज नगमा है, खिलते हैं गुल यहां मिल के बिछड़ने को, शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब और कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे … जैसे सदाबहार गीतों का मुकाबला कोई गीतकार नहीं कर पायेगा।
देश और दुनिया में छा जाने वाले गोपाल दास नीरज की पृष्ठभूमि ग्रामीण परिवेश से है, उनका जन्म 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के जिला इटावा में स्थित गाँव पुरावली में हुआ था, उनके पिता का निधन हुआ तब, उनकी आयु मात्र 6 वर्ष की थी, इसके बावजूद उन्होंने 1942 में एटा से हाई स्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इटावा की कचहरी में ही उन्होंने टाइपिस्ट का काम किया, जिसके बाद सिनेमाघर की एक दुकान पर नौकरी की, इसके बाद दिल्ली में सफाई विभाग में टाइपिस्ट की नौकरी लग गई, जो बहुत दिनों तक नहीं रही। कानपुर के डीएवी कॉलेज में क्लर्क बन गये, इसके बाद एक निजी कंपनी में टाइपिस्ट रहे, इस बीच पढ़ते भी रहे और 1953 में प्रथम श्रेणी में हिंदी से एमए उत्तीर्ण कर लिया।
गोपाल दास नीरज ने राजनीति में कदम रखा। वर्ष- 1967 के आम चुनाव में नीरज कानपुर लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेलेकिन, जनता को संबोधित करते हुए कहा कि जो भी भ्रष्ट हों, चोर हों, वे उन्हें वोट न दें, इस पर आम जनता भड़क गई, वे 60 हजार वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। हालाँकि मतदान से पहले कांग्रेस के समर्थन को ठुकरा कर उन्होंने चुनाव से हटने की घोषणा कर दी थी, इसके अलावा समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव से उनके सर्वाधिक नजदीकी संबंध रहे। फर्स से शिखर की यात्रा करने वाले नीरज के निधन पर देश और दुनिया भर में शोक की लहर दौड़ना स्वाभाविक ही है।
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