बदायूं जिले में खुद को मुस्लिम समाज का रहनुमा कहने वाले कई लोग हैं, लेकिन मुस्लिम समाज की मूलभूत समस्याओं का निराकरण कराने में उनकी कोई रूचि नजर नहीं आ रही है। सिर्फ भावनाओं को भड़का कर मुस्लिम समाज का समर्थन प्राप्त कर के कई लोग वैभव और ऐश्वर्य का सुख भोग रहे हैं, जिससे मुस्लिम समाज की समस्यायें और विकराल रूप लेती जा रही हैं। हालात इतने भयावह हो चले हैं कि मुस्लिम समाज के अति प्राचीन धार्मिक स्थलों पर अस्तित्व को बचाये रखने का खतरा मंडराने लगा है।
बात फिलहाल हजरत ख्वाजा सैय्यद अहमद बुखारी मशहदी रहम तुल्लाह अलह की प्राचीन दरगाह की करते हैं, इसको दरगाह सागर ताल के नाम से भी जाना जाता है। यह दरगाह इतनी प्राचीन है कि दो महीने बाद यहाँ आठ सौवां उर्स आयोजित होने वाला है, यहाँ संपूर्ण भारत के साथ विदेशों से भी लोग आते हैं, लेकिन इस महत्व को स्थानीय मुस्लिम नेता नहीं समझ पा रहे हैं, तभी दरगाह के अस्तित्व पर ही संकट मंडराने लगा है।
दरगाह की जमीन चारों दिशाओं से भू-माफिया लगातार कब्जा रहे हैं। ब्लूमिंगडेल स्कूल का मालिक व कुख्यात भू-माफिया ज्योति मैंदीरत्ता कई एकड़ भूमि कब्जा चुका है, लेकिन ज्योति मुस्लिम नेताओं का शागिर्द है, जिससे उसके विरुद्ध कोई नहीं बोलता। आम आदमी अपनी दीवार सीधी करने के लिए एक-दो फुट जमीन कब्जा लेता, तो यही मुस्लिम रहनुमा सांप्रदायिक दंगा होने के हालात उत्पन्न कर देते।
इसके अलावा भू-माफिया को लाभ पहुँचाने के लिए उसके इशारे पर कहीं भी 14 से 18 फुट चौड़ा सीसी मार्ग कुछ ही दिनों में बनवा दिया जाता है, लेकिन दरगाह की ओर जाने वाला रास्ता टूट गया है, जिसमें घुटनों तक पानी जमा है। दरगाह पर आने वाले विदेशी गंदे पानी से ही निकलने को मजबूर हैं। मुस्लिम रहनुमाओं के नाम और फोटो लगे द्वार जगह-जगह नजर आते हैं, लेकिन इस प्राचीन दरगाह की ओर जाने वाले मार्ग पर एक बोर्ड तक नहीं लगा है, जिससे बाहर से आने वाले लोग जगह-जगह पूछते हुए किसी तरह दरगाह तक पहुंचते हैं।
दरगाह के इमाम ख्वाजा सैय्यद मेंहदी हसन सुलझे हुए सज्जन व्यक्ति हैं, उनके प्रयासों से दरगाह पर लगातार विकास कार्य हो रहे हैं। फिलहाल सौंदर्यकरण का कार्य चल रहा है, जिसमें किसी मुस्लिम रहनुमा की मदद नहीं ली जा रही है।
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