संसद के शीतकालीन सत्र के छठवें दिन बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में तो पहुंचे, लेकिन शांत रहे और सब कुछ देखते और सुनते रहे, वहीं विपक्ष आक्रामक मुद्रा में रहा। लोकसभा और राज्यसभा में कार्रवाई रोकने के साथ एकजुट विपक्ष ने संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने दमदार प्रदर्शन किया, वहीं संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने स्पष्ट कर दिया कि फैसला वापस लेना मोदी के खून में नहीं है।
बुधवार को दोनों सदनों की कार्यवाही शुरू हुई, वैसे ही विपक्ष ने हंगामा करना शुरू कर दिया। लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शांत भाव से बैठे रहे। विपक्ष के आक्रामक रवैये के चलते सदन की कार्रवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। यूनाइटेड अपोजिशन फ्रंट ने सोमवार को ही आक्रामक भूमिका की रणनीति बना ली थी, जिसके तहत एक दर्जन राजनैतिक दलों के लगभग दो सौ सांसदों ने हाथों में स्लोगन लिखी तख्तियां लेकर संसद परिसर में ही गांधी प्रतिमा के समक्ष कतार बना कर दमदार प्रदर्शन किया।
राहुल गाँधी ने नोटबंदी को घोटाला करार देते हुए कई गंभीर आरोप लगाये। मायावती ने प्रधानमंत्री को सदन में बुलाने की मांग की, वहीं संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि हंगामा करना विपक्ष की आदत बन गई है, साथ ही कहा कि फैसला वापस लेना मोदी के खून में नहीं है। उन्होंने कहा कि गरीब लोग चाहते हैं कि नोटबंदी सफल हो। बोले- गरीब प्रधानमंत्री को मसीहा की तरह देखते हैं।