बदायूं स्थित जिला कारगार के हालात सामान्य कैदियों को संभाल पाने के नहीं हैं, ऐसे में यहाँ प्रदेश के कुख्यात 14 माफिया और डॉन भेज दिए गये, जिससे हालात और बदतर हो गये। पूर्वांचल का कुख्यात अपराधी चंदन सिंह फरार हो ही चुका है, जो अभी तक नहीं मिल पाया है, उसके बारे में कहा जा रहा है कि वह सीमा पार नेपाल में जा चुका है। चंदन सिंह के फरार होने के बाद जेल प्रशासन थोड़ा गंभीर हुआ और शीर्ष अफसरों से गुहार लगाई कि कुख्यात अपराधियों को यहाँ से स्थानांतरित किया जाये। जेल प्रशासन की मांग कर कुख्यात अपराधी पंकज सिंह को गोंडा जेल में भेज दिया गया है, जिससे जेल प्रशासन को राहत तो मिली है, लेकिन अभी 12 कुख्यात अपराधी और बचे हैं।
बदायूं स्थित जेल की क्षमता 529 बंदी/कैदी रखने की है, लेकिन यहाँ 2100 बंदी और कैदी हैं। 529 बंदियों के सापेक्ष 50 बंदी रक्षक होने चाहिए थे, पर बंदी रक्षक सिर्फ 29 हैं, ऐसे में हालात भयावह होने स्वाभाविक ही हैं, इन्हीं हालातों के चलते आगरा पेशी पर गया चंदन सिंह भाग गया था। अब कड़ी सुरक्षा में रहने वाले कुख्यात पंकज सिंह को गोंडा जेल भेज दिया गया है, जिससे जेल प्रशासन ने राहत की साँस ली है।
पंकज सिंह को एसटीएफ ने पंचायत चुनाव के समय लखनऊ के गुडंबा से गिरफ्तार किया था, इस पर पचास हजार का इनाम था। पंकज अपराध जगत में वर्ष 2012 से सक्रिय है, इसने वर्ष 2012 में ककना ग्राम प्रधान रामसूरत मौर्या पर चुनावी रंजिश को लेकर जानलेवा हमला किया था, जिसमें वह गम्भीर रूप से घायल हो गया था, इसके बाद वर्ष 2013 में 20 जून को जंगबहादुर सिंह उर्फ बेटू सिंह निवासी सांगापुर, थाना कादीपुर की सिर्फ कहा-सुनी होने हत्या कर दी थी, इसके बाद बेटू सिंह के गुट के रिशू सिंह उर्फ देवांश सिंह निवासी कादीपुर से पंकज की 12 जून, 2015 को गोलीबारी हुई, जिसमें प्रशान्त सिंह, शिवकुमार सिंह व देवी प्रसाद की मौके पर मृत्यु हो गयी थी, इस सनसनीखेज वारदात ने पंकज सिंह को दहशत का पर्याय बना दिया। पंकज ने जनवरी 2015 में ग्राम ककना, थाना कादीपुर, जिला सुल्तानपुर में इरशाद की सरेशाम हत्या कर सनसनीखेज वारदात को भी अंजाम दिया था, इसके बाद सुल्तानपुर, अम्बेडकरनगर व जौनपुर में ठेकेदारों से रंगदारी वसूलना शुरू कर दी थी। पंकज दिल्ली, मुम्बई और गुजरात तक के अपराधियों के संपर्क में रहता है।