बदायूं नगर पालिका के इतिहास में अध्यक्ष की प्रशासनिक व वित्तीय पॉवर पहली बार कथित आदर्शवादी सदर विधायक आबिद रजा के दबाव के चलते सीज की गई। नियमों की अनदेखी और दबाव के चलते ही उस समय दिवंगत पालिकाध्यक्ष ओमप्रकाश मथुरिया को उच्च न्यायालय से स्टे मिल गया था, लेकिन दखल बंद न होने के चलते बाद में वे असमय ही चल बसे।
उल्लेखनीय है कि कथित आदर्शवादी सदर विधायक आबिद रजा की पत्नी फात्मा रजा को हरा कर ओमप्रकाश मथुरिया पालिकाध्यक्ष चुने गये थे। कथित आदर्शवादी आबिद रजा ने बाद में फात्मा रजा को शासन से सभासद नॉमिनेट करा दिया था, साथ ही अपने चहेतों से ओमप्रकाश मथुरिया की शिकायत करा दी। दुकानों की नीलामी और नुमाइश का ठेका आदि में गड़बड़ी की जाँच भी कथित आदर्शवादी आबिद रजा ने अपनी देख-रेख में कराई। अनियमितता सिद्ध होनी ही थी, सो दिसंबर 2013 में ओमप्रकाश मथुरिया की पॉवर सीज करा दी गई। उस समय भी जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी ही थे। हालाँकि सूत्र बताते हैं कि नगर विकास मंत्री दिवंगत ओमप्रकाश मथुरिया की पॉवर सीज कराने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन कथित आदर्शवादी आबिद रजा ने अपनी प्रतिष्ठा और व्यक्तिगत संबंधों का हवाला देते हुए आजम खान को मना लिया था। यहाँ गौर करने की बात यह है कि पालिकाध्यक्ष की पॉवर सीज की गई थी, लेकिन उस जांच में दोषी पाये गये अफसरों के विरुद्ध आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
शासन के आदेश के विरुद्ध दिवंगत ओमप्रकाश मथुरिया उच्च न्यायालय की शरण में गये, जहाँ से स्टे के रूप में उन्हें राहत मिल गई, पर कथित आदर्शवादी आबिद रजा ने उनके कार्य क्षेत्र में दखल देना बंद नहीं किया। पहले से ही अस्वस्थ ओमप्रकाश मथुरिया दबाव के चलते हृदय आघात का शिकार हो गये और शरीर त्याग गये, जिसके बाद हुए उपचुनाव में कथित आदर्शवादी आबिद रजा की पत्नी फात्मा रजा ने जीत के अंतर का रिकॉर्ड बनाया।
फात्मा रजा ने प्लास्टिक के कूड़ेदान खरीदवाये, जो कुछ ही महीनों में खुद कूड़ा बन गये। उन्होंने यात्री शेड बनवाये, जो इंसान की तो बात ही छोड़िये, जानवरों के काम भी नहीं आ रहे, ऐसा विकास कराने को पालिका के पास धन है, लेकिन शहर की टूटी सड़कें बनवाने को धन की कमी है, ऐसे कथित आदर्शवाद के चलते ही आबिद रजा की आज शहर में ही नहीं, बल्कि जिले भर में थू-थू हो रही है, वहीं सांसद धर्मेन्द्र यादव की लोकप्रियता और बढ़ गई है।
यह भी बता दें कि नगर निकाय चुनाव में एसएसपी के रूप में तेजतर्रार मंजिल सैनी तैनात थीं, जिनके चलते आबिद रजा बूथ के आसपास तक नहीं फटक पाये थे, जिससे चुनाव पूरी तरह भयमुक्त वातावरण में संपन्न हुआ, वहीं उपचुनाव में कथित आदर्शवादी आबिद रजा समूचे तंत्र पर हावी रहे, जिससे उनकी पत्नी फात्मा रजा ने रिकॉर्ड बना दिया, इस जीत के अहंकार में वे भी पूरी तरह डूबी नजर आती हैं और बात करने से पहले रिकॉर्ड का उल्लेख अवश्य करती हैं।