बदायूं जिले में भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसा जाने लगा है। गरीबों के हिस्से का माल हजम कर रहे कोटेदारों पर मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। भ्रष्ट कोटेदारों के विरुद्ध कार्रवाई होने से गरीब तबके के लोग खुश नजर आ रहे हैं।
कस्बा सहसवान में सलीम अहमद नाम का राशन डीलर लंबे समय से कुख्यात है। सपा सरकार में सहसवान के कुख्यात भ्रष्टाचार के रावण का खुला संरक्षण होने के चलते गरीबों के हिस्से का अनाज खुद ही खा रहा था और कोई कुछ नहीं कर पा रहा था। दबंग होने के कारण सलीम की कोई शिकायत भी नहीं करता था। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ, तो राशन वितरण की प्रणाली में बदलाव किया गया। अब वितरण संबंधी जानकारी ऑन लाइन कर दी गई है एवं अलग-अलग क्षेत्रों के विभागीय अफसर आकस्मिक निरीक्षण कर रहे हैं, जिसके तहत 7 अक्टूबर को सहसवान में अफसरों ने छापा मारा। जाँच के दौरान मौके पर जुटे अधिकांश लोगों ने बताया कि उन्हें राशन नहीं मिलता है।
अफसरों ने जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को प्रेषित कर दी। जाँच में सलीम अहमद के गोदाम में 45 कट्टे कम पाये गये। एक और कोटेदार भगवंत सिंह के गोदाम में भी 5 कट्टे कम पाये गये, दोनों के विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा- 3/7 के अंतर्गत कोतवाली सहसवान में मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। बताते हैं कि भगवंत नाम का कोटेदार विकलांग है, उसके नाम दुकान है, लेकिन असली मालिक कोई और शातिर दिमाग व्यक्ति है, जिसका नाम रिकॉर्ड में न होने से बच गया।
खैर, सहसवान में यह चर्चा आम है कि भ्रष्टाचार के राक्षसों का अंत होना शुरू हो गया है। छुटभैया सलीम पर शिंकजा कस गया। पालिका चुनाव में जनता भ्रष्टाचार के रावण का अंत करने को आतुर है। रावण की शक्ति खत्म होते ही अन्य छुटभैया सुधर जायेंगे, वरना उन्हें पुलिस सलाखों के पीछे भेज देगी। हाल-फिलहाल दहशत फैला कर रावण ही सहसवान में चारों ओर आतंक मचाये हुए है, यही खुल कर पांच वर्ष जनता का पैसा लूटता रहा है।
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