बदायूं जिला कभी बड़े बदमाशों को लेकर प्रदेश भर में कुख्यात था। हर दिशा में इनामी बदमाश थे, जिन्हें खत्म करने में पुलिस को बड़ी बलि देनी पड़ी। कटरी बदमाशों से खाली हो गई एवं बाकी क्षेत्रों से भी बदमाश खत्म हो गये, तो आम जनता ने राहत की सांस ली, लेकिन अब चौंकाने वाली खबर यह है कि बदमाशों की तरह ही पुलिस रूपये लेकर खुलेआम गुंडई करने लगी है। घटना अफसरों के संज्ञान में हैं, लेकिन छः दिन बाद भी खाकी का दुरूपयोग करते हुए गुंडई करने वाले पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई है।
कस्बा सहसवान के रुस्तम टोला निवासी मोहम्मद उमर उर्फ पप्पू का कहना है कि उसकी पड़ोस के ही आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों से रंजिश चल रही है, जिन लोगों ने कोतवाली बिसौली की पुलिस से मिलीभगत कर पीड़ित, उसके भाई अजहर और सहसवान के मोहल्ला चौधरी सराय निवासी अंबर खां के विरुद्ध 8 अक्टूबर को फर्जी प्राथमिकी दर्ज करा दी, इस एनसीआर के आधार पर ही कोतवाली बिसौली के सब-इंस्पेक्टर कुलदीप कुमार और कुछ सिपाही 10 अक्टूबर की रात में करीब नौ बजे पीड़ित के घर दबिश देने पहुंच गये, इस दौरान घर पर सिर्फ महिलायें थीं, जो पुलिस से बात कर रही थीं, तभी झगड़ालू किस्म के पड़ोसी आ गये और महिलाओं को गालियाँ देने लगे। आरोप है कि महिलाओं ने गालियों का विरोध किया, तो आरोपियों ने महिलाओं के साथ जमकर मारपीट भी की।
पीड़ित उमर के प्रार्थना पत्र पर सहसवान कोतवाली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है, लेकिन छः दिन बाद भी सब-इंस्पेक्टर कुलदीप कुमार और उनके साथी सिपाहियों पर कार्रवाई नहीं की गई है। सूत्रों का कहना है कि 10 अक्टूबर को दबिश देने से पहले बिसौली कोतवाली की पुलिस ने सहसवान कोतवाली में आमद नहीं कराई थी।
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