बदायूं नगर पालिका परिषद में ठेकेदार से बना बसपा नेता पूरी तरह हावी हो गया है। विकास कार्यों के नाम पर करोड़ों रूपये ठिकाने लगा रहा है, लेकिन अफसरों के साथ सत्ता पक्ष के नेताओं के दरबार में भी लगातार हाजिरी लगाने के कारण सब मौन हैं, जिससे विकास कार्य गुणवत्ता विहीन हो रहे हैं।
सहसवान निवासी एक ठेकेदार जिला पंचायत में ठेकेदारी करते हुए करोड़पति हो गया, तो डीआरडीए व आरईएस में भी ठेकेदारी करने लगा। जिला पंचायत में हैंडपंप घोटाला होने के बाद एवं अध्यक्ष बदलने के कारण उसे काम मिलने बंद हो गये, साथ ही सपा की सरकार आने के बाद डीआरडीए व आरईएस से भी काम नहीं मिला, तो शातिर दिमाग ठेकेदार ने एक सपा नेता को शामिल कर कंपनी रजिस्टर्ड करा ली और सपा नेता के सहारे लोक निर्माण विभाग से करोड़ों के कार्य प्राप्त करने में सफल हो गया। इससे भी बड़े आश्चर्य की बात यह है कि इसने उन इलाकों में कार्य लिए, जिन इलाकों में सपा के विधायक नहीं हैं, ताकि कार्य की गुणवत्ता को लेकर कोई सवाल और बवाल न हो।
उधर बदायूं नगर पालिका परिषद के भाजपाई अध्यक्ष की अकस्मात मृत्यु के बाद नगर पालिका में भी हावी हो गया। पिछले दिनों इसके द्वारा यात्री शेड बनाये गये हैं, जो तेज हवा चलने पर ही धराशाई हो जायेंगे, इसके अलावा इस भ्रष्ट व विवादित ठेकेदार को शहर भर में इंटर लॉकिंग करने का कार्य दे दिया गया है। इंटर लॉक ईंट निर्माण का प्लांट इसका अपना ही है, जिससे लंबाई-चौड़ाई के साथ गुणवत्ता में भी बड़ा गोलमाल कर रहा है, लेकिन अफसरों के साथ सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं का चहेता होने के कारण सब मौन हैं। हालात यही रहे, तो आने वाले समय में यह विकास कार्यों को आने वाला धन आराम से हजम करता रहेगा।
यहाँ यह भी बता दें कि यह भ्रष्ट व विवादित ठेकेदार पिछले विधान सभा चुनाव में सहसवान विधान सभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी से टिकट मांग रहा था, पर बदायूं जिले में बसपा के कई मुस्लिम प्रत्याशी होने के कारण यह सफल नहीं हो सका, पर इस बार यह सहसवान के साथ बिल्सी विधान सभा क्षेत्र से भी टिकट मांग रहा है। माना जा रहा है कि इस बार बसपा से इसे टिकट मिल जायेगा, जिससे लोग यह भी कहने लगे हैं कि सपा सरकार में रुपया पैदा कर के सपा के ही उम्मीदवार को हरा कर आने वाले समय में बसपा विधायक बनेगा। आश्चर्य की बात तो यह है कि शातिर दिमाग बसपाई ठेकेदार अपने नौकरों के नाम से कार्य करता है, ऐसे में यह कहीं फंसता भी है, तो कागजी प्रमाण न होने के कारण साफ़ बच निकलता है। जिला पंचायत में हुए हैण्डपंप घोटाले में भी इसीलिए साफ़ बच निकला था। सूत्रों का यह भी कहना है कि एक प्रत्याशी के चुनाव का पूरा खर्च यही ठेकेदार उठा रहा है, जिससे स्पष्ट है कि इसका प्रत्याशी विजयी हुआ, तो यह खुलेआम विकास कार्यों का धन हड़प जायेगा।