फंस सकते हैं तालाब की जमीन पर सीएम की सभा कराने वाले

फंस सकते हैं तालाब की जमीन पर सीएम की सभा कराने वाले
तालाब पर हो रहे कब्जे का अप्रैल के प्रथम सप्ताह में लिया गया फोटो, जिसका अधिकाँश भाग अब समतल हो चुका है।
तालाब पर हो रहे कब्जे का अप्रैल के प्रथम सप्ताह में लिया गया फोटो, जिसका अधिकाँश भाग अब समतल हो चुका है।

बदायूं में प्राचीन तालाब पर भू-माफियाओं द्वारा कब्जा करने और प्रशासन की मिलीभगत का गंभीर प्रकरण अब तूल पकड़ता जा रहा है, इससे भी बड़ा भयावह सच यह है कि तालाब किनारे बसे कुछ गरीब परिवारों के घर छीन लिए गये हैं, उन्हें बना कर पक्का मकान देने का वादा किया गया है, लेकिन इस भीषण गर्मी में छोटे-छोटे बच्चे और महिलायें खुले आसमान के नीचे पड़े नजर आ रहे हैं। प्रशासन अब तक जान कर बेखबर बना हुआ था, साथ ही दुस्साहसिक निर्णय लेते हुए इसी स्थान को मुख्यमंत्री की जनसभा के लिए भी चयनित कर दिया। अब प्रकरण तूल पकड़ गया है, तो जिलाधिकारी कार्रवाई करने की जगह मामले को दबाने के उददेश्य से जांच कराने की बात करने लगे हैं। 

उल्लेखनीय है कि बदायूं में दातागंज तिराहे के पास कई एकड़ में फैला विशाल प्राचीन तालाब था, जिसमें आधे शहर का गंदा पानी गिरता रहा है, इस तालाब को भू-माफियाओं द्वारा खुलेआम कब्जाया जा रहा है। दर्जनों डंपर और जेसीबी रात-दिन यहाँ जुटे हुए हैं। माफियाओं ने शहर के गंदे पानी की कोई व्यवस्था नहीं की, जिससे आधे शहर का पानी जाम हो गया है। मोहल्ला नई सराय के लोगों के घरों में पानी उल्टा घुसने लगा। लोग त्राहि-त्राहि कर उठे, तो प्रशासनिक अफसरों से शिकायत भी की गई, लेकिन दबाव के चलते माफियाओं के विरुद्ध कोई अफसर शिकायत तक सुनने को तैयार नहीं हुआ। अभी तालाब के सत्तर प्रतिशत हिस्से पर कब्जा हुआ है, शेष हिस्से को कब्जाने के लिए लगातार जेसीबी और डंपर जुटे हुए हैं।

हैरत और मनमानी की बात यह है कि भू-माफियाओं के विरुद्ध कार्रवाई न करने वाले जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी ने तालाब के विवादित स्थान को ही मुख्यमंत्री की जनसभा के लिए चयनित कर दिया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 23 मई को जनपद के दौरे पर आ रहे हैं, इससे पहले उनका कार्यक्रम 21 मई का था। मुख्यमंत्री की सभा के लिए साठ फुट लम्बा, चालीस फुट चौड़ा तथा आठ फुट ऊंचा मंच लखनऊ की राज डिजानिंग कम्पनी द्वारा तैयार किया जाना है। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में एक से डेढ़ लाख लोगों के आने की संभावना के चलते विशाल पंडाल भी बनाये जाने की तैयारी होने लगी है, इस बीच भू-माफियाओं की दबंगई के और भी खुलासे होने लगे हैं। तालाब किनारे रहने वाले गरीब परिवारों के मकान भी छीन लिए गये हैं, उन्हें बना कर पक्के मकान देने का प्रलोभन दिया गया है। फिलहाल गरीब परिवारों के बच्चे और महिलायें भीषण गर्मी के मौसम में खुले आसमान के नीचे तपते नजर आ रहे हैं।

भू-माफियाओं के पीछे एक ऊंची पहुंच रखने वाला सपा नेता भी है, करोड़ों रूपये कीमत की इस जगह को दोनों मिल कर हड़पना चाहते हैं। सपा नेता का शिक्षण संस्थान तालाब के किनारे ही हैं, उसके संस्थान को यूपी सरकार ने अभी मान्यता नहीं दी है, जिससे वह अपने संस्थान के बराबर में जनसभा आयोजित करा कर मुख्यमंत्री से मान्यता कराने की तैयारी में जुटा नजर आ रहा है। सपा नेता के कारण प्रशासन न सिर्फ मौन है, बल्कि खुलेआम गरीबों का शोषण करा रहा है। हांलाकि अब तालाब कब्जाने का गंभीर प्रकरण तूल पकड़ गया है, लेकिन उसी स्थान पर खड़े होकर जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी ने आज प्रकरण को दबाने के उददेश्य से जांच कराने की बात कही, जबकि उस समय में भी माफियाओं के डंपर और जेसीबी चल रहे थे और लगातार चल रहे हैं। प्रकरण अब तूल पकड़ता जा रहा है, जिससे मुख्यमंत्री तालाब कब्जाने वालों और उस स्थान को उनकी सभा के लिए चयनित करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई कर सकते हैं, जिससे माफिया और अफसर सहमे नजर आ रहे हैं।

जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी।
जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी।

…. और भी गंभीर सवाल हैं

तालाब को कब्जाने और उसे समतल करने का ही बड़ा अपराध है, इसके अलावा सवाल यह भी है कि खनन पर रोक के बावजूद तालाब में डाली गई हजारों डंपर रेत कैसे खोद दी गई? प्राचीन तालाब में सैकड़ों तरह के जीवों की प्रजातियाँ सुरक्षित थीं, जिन्हें मौत के घाट उतार दिया गया है, उनका जिम्मेदार कौन है? प्राचीन सागर ताल और इस तालाब पर प्रवास करने के लिए कई लुप्त होती प्रजातियों के हजारों पक्षी प्रतिवर्ष प्रवास करने आते रहे हैं, वे अब कहां आयेंगे?

जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी का जवाब सुनने/देखने के लिए वीडियो पर क्लिक करें


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