विश्व भर में चर्चित कटरा सआदतगंज की घटना के गवाह नजरू की सुरक्षा में लगे सिपाहियों ने बड़ा बवाल कर दिया। पुलिस घटना को दबाने का प्रयास कर रही है, वहीँ एसएसपी ने दोनों सिपाहियों को निलंबित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि 22 मई 2014 की रात को बदायूं जिले के गाँव कटरा सआदतगंज में ऐसी दर्दनाक घटना सामने लाई गई, जिसने उत्तर प्रदेश और भारत ही नहीं, बल्कि विश्व समुदाय का ध्यान अपनी ओर खींच लिया था। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी घटना की निंदा की थी। एक मृतका के पिता द्वारा लिखाए गये मुकदमे में आरोप लगाया गया था कि उसकी बेटी व भतीजी को दुष्कर्म कर मार दिया गया और बाद में उनके शव आम के पेड़ पर लटका दिए गये, इस घटना में तीन सगे भाई पप्पू यादव, उर्वेश यादव, अवधेश यादव और दो सिपाही सर्वेश यादव व छत्रपाल गंगवार सहित पांच लोग नामजद कराये गये थे। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था एवं सिपाही निलंबित कर दिए गये थे, इसके बावजूद पीड़ित परिजन संतुष्ट नहीं हुए, तो उनकी मांग पर एवं न्यायालय के दबाव में यूपी सरकार ने 8 जून को सीबीआई जांच की संस्तुति कर दी थी, जिस पर केंद्र सरकार के अनुमोदन के बाद सीबीआई ने 12 जून को मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। उक्त प्रकरण में तमाम उतार-चढ़ाव के बाद सीबीआई ने 11 दिसंबर 2014 को स्थानीय न्यायालय में अपनी जांच आख्या दाखिल कर दी थी, जिसमें सभी नामजद निर्दोष पाये गये एवं परिजन षड्यंत्र कर नामजदों को फंसाने के दोषी पाये गये। सीबीआई की आख्या पर परिजनों ने आपत्ति की, जिस पर न्यायालय में सुनवाई हुई, तो पीड़ितों का पक्ष कमजोर पड़ गया।
उक्त प्रकरण में नजरू नाम का व्यक्ति गवाह था, जिसे सीबीआई की ओर से सुरक्षा के लिए दो सिपाही दिलाये गये थे। नजरू की सुरक्षा में लगे सिपाही रामबाबू और सिद्धार्थ ने बीती रात शराब के नशे में जमकर बवाल किया और आपस में लड़ने के दौरान फायर भी किया। हालांकि गोली किसी को लगी नहीं, वैसे गोली चलने की बात पुलिस भी स्वीकार नहीं कर रही है, लेकिन एसएसपी सौमित्र यादव ने दोनों सिपाहियों को निलंबित कर दिया है।
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सीबीआई की नजर में कटरा सआदतगंज कांड का सच कुछ और