बदायूं शहर के ढाई वर्ष के मासूम की मृत्यु को आधार बना कर विधायक ने कोतवाल के विरुद्ध चाल चल दी है। तेजतर्रार माने जा रहे कोतवाल भी विधायक के सामने हथियार डालते नजर आ रहे हैं, वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मासूम की मृत्यु का खुलासा नहीं हो सका है। माना जा रहा है कि किसी तरह नाले में गिर कर मासूम की मृत्यु हुई है, जो बच्चे की भूल और नगर पालिका की लापरवाही कही जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला ऊपरपारा से 20 सितंबर को दोपहर तीन बजे के करीब घर से खेलने निकला ढाई वर्षीय मोहम्मद हमजा नाम का बच्चा अचानक गायब हो गया था, उसकी आज दोपहर सदर विधायक आबिद रजा के आवास के पीछे लाश बरामद हुई, तो हड़कंप मच गया। घर के पीछे लाश मिलने की सूचना पाकर मौके पर विधायक आबिद रजा भी पहुंच गये और सदर कोतवाल संत प्रसाद उपाध्याय पर अपने अंदर की भड़ास निकालने लगे, इस पर कुछ देर बहस करने के बाद कोतवाल मौके से दूर हट गये, जिससे नाले से लाश निकालने में दो-तीन घंटे की देरी हो गई। बाद में लाश निकाली गई और पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई, इस बीच पचास-साठ लोग हाथों में कोतवाल के विरुद्ध लिखी तख्तियां लेकर लालपुल स्थित हाईवे पर आ गये और नारेबाजी करते हुए रोड जाम कर दिया।
मृतक के पिता शारिक उर्फ खिल्लू ने सदर कोतवाल व बजाज एजेंसी के स्वामी राजू आहूजा के विरुद्ध अपने बेटे का अपहरण कर हत्या करने की तहरीर दे दी, जो एसओ सिविल लाइन एके सिंह ने रिसीव कर ली, इसके बावजूद जाम लगा रहे लोग रोड से नहीं हटे। भीड़ की सिविल लाइन के एसओ से नोंक-झोंक भी हो गई, साथ ही उनकी बर्दी पर लगे बैज नोंच लिए, तो उन्हें पीछे हटा दिया गया। भीड़ में घुसे कुछ युवाओं का कहना था कि सदर विधायक को बुलाया जाये, तभी जाम खोलेंगे। साढ़े सात बजे के करीब विधायक मौके पर पहुंचे और उन्होंने कहा कि कार्रवाई नहीं हुई, तो यहाँ आजम खान आयेंगे, उनकी आजम खान से बात हो चुकी है, इस बीच उत्तर प्रदेश श्रम संविदा सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष यासीन उस्मानी भी मौके पर पहुंच गये, वे कुछ कह पाते, उससे पहले आबिद रजा ने कह दिया कि उठो, चलो, जाम खोल दो और जाम खुल गया। कई घंटे जाम लगे रहने से वाहनों की लंबी कतारें लग गईं, जिससे सैकड़ों लोग परेशान रहे।
उधर मासूम मोहम्मद हमजा के शव का मेडिकल परीक्षण हुआ, लेकिन खाल और मांस गल जाने से मृत्यु का कारण पता नहीं चला, जिससे विसरा प्रिजर्व कर लिया गया, वहीं मृत्यु के पीछे बच्चे की भूल और पालिका की लापरवाही मानी जा रही है। पांच फुट गहरे नाले में चार फुट पानी जमा रहता है, इसीलिए बच्चे के लिए नाला ही काल बन गया। घनी बस्ती के बीच नाला खुला है, साथ ही बच्चों के निकलने के लिए रेलिंग की व्यवस्था कहीं नहीं की गई है, यही सब छुपाने के उददेश्य से शायद, विधायक घटना को अलग ही रंग देते नजर आ रहे हैं। बता दें कि विधायक चुने जाने से पहले आबिद रजा पालिकाध्यक्ष थे और वर्तमान में उनकी पत्नी फात्मा रजा पालिकाध्यक्ष हैं।
समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद आबिद रजा की हनक कम हुई है, पुलिस उनके यहाँ अब हाजिरी नहीं लगाती, साथ ही निरर्थक सिफारिशें भी नहीं मानती, इसलिए विधायक इस घटना का इस तरह लाभ लेने का प्रयास कर रहे हैं कि पुलिस के अंदर यह बात अंदर तक बैठ जाये कि वे सत्ता की मदद के बिना भी जिस अफसर को चाहेंगे, उसे रहने नहीं देंगे। फिलहाल कोतवाल उनके निशाने पर हैं। विधायक की चाल को पुलिस अफसर भी समझ रहे हैं, लेकिन सब कुछ जानते और समझते हुए भी मौन धारण किये हुए हैं।
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