मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के शासन में काम करने वाले और भ्रष्टाचार करने वाले को एक ही तराजू में तौला जा रहा है। कर्तव्यपरायढ़ पुलिस अफसर मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप कार्य कर रहे हैं, पर भाजपा विधायक ही सबसे बड़ा रोड़ा बनते नजर आ रहे हैं, इससे शासनादेशों का अक्षरशः पालन करने वाले पुलिस कर्मी मायूस नजर आ रहे हैं।
बदायूं जिले के उझानी कोतवाल और मुजरिया के थानाध्यक्ष का हटना पुलिस विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है।उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने कानून व्यवस्था सुदृढ़ करने के कड़े दिशा-निर्देश दे रखे हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही आज प्रदेश के मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने आपराधिक मामलों में पुलिस की विवेचना के कार्य को और अधिक प्रभावी, विश्वसनीय एवं त्रुटि रहित बनाने के प्रयास करने के निर्देश दिये। शासन द्वारा इस संबंध में जारी निर्देशों के अनुपालन की नियमित रूप से समीक्षा करने का दायित्व अपर पुलिस महानिदेशक (अपराध) को सौंपा। मुख्य सचिव ने विवेचना कार्यों में उच्चस्तरीय गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु उच्च न्यायालय द्वारा पारित किये गये आदेश 17 फरवरी, 2017 की प्रति पुलिस महानिदेशक को भेजते हुए उनका अक्षरशः कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिये, साथ ही शासन द्वारा यह भी कहा गया कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी इस संबंध में हुई कार्यवाही की प्रभावी समीक्षा प्रणाली विकसित करें, ताकि नियमों व निर्देशों का सख्ती से सुनिश्चित किया जा सके। विवेचनाधिकारी द्वारा यदि निर्देशों के अनुपालन में किसी प्रकार की ढिलाई या जानबूझ कर शिथिलता पायी जायेगी, तो उनके विरूद्ध सख्त कार्यवाही होगी।
शासन द्वारा जारी निर्देशों में कहा गया है कि सभी विवेचनाधिकारी हर संभव प्रयास करेगें कि सूचना देने वाले व्यक्ति पीड़ित पक्ष, घायल या दूसरे महत्वपूर्ण गवाहों के बयान शीघ्र अतिशीघ्र दर्ज किये जायें और यदि ऐसा न हो सके, तो अभियोग पंजीकृत होने के 24 घण्टे के भीतर अवश्य दर्ज किये जायें। प्रत्येक साक्षी के बयान देर से रिकार्ड किये जाने पर बयान के साथ अलग से स्पष्टीकरण प्रस्तुत किये जाने के लिए भी कहा गया है। जांच अधिकारी द्वारा घटनास्थल पर उपलब्ध हर सबूत को भी जल्द से जल्द और 24 घण्टे के भीतर यदि एकत्र नहीं किया जाता है, तो इस सम्बन्ध में भी वह अपना स्पष्टीकरण देंगे। साइट से एकत्र की गई सभी प्रासंगिक सामग्री और सबूत विधि विज्ञान प्रयोगशाला को विशेषज्ञ सलाह के लिये भेजा जायेगा।शासन द्वारा जारी निर्देशो में कहा गया है कि सूचनाकर्ता, पीड़ित अथवा गवाह के बयानों के पंजीकरण में विलम्ब को भी कम किया जायेगा। धारा 161 सीआरपीसी के तहत दर्ज कराये गये बयानों से मुकरने वाले अथवा पक्षद्रोही होने से बचने के लिये विवेचनाधिकारी द्वारा उनकी विश्वसनीयता को भी सुनिश्चित किया जायेगा। विवेचनाधिकारी एवं राज्य सरकार द्वारा बिना किसी विलम्ब के सूचनाकर्ता और सभी गवाहों से कहा जायेगा कि वह अपने साक्ष्य ई-मेल, स्पीड पोस्ट, रजिस्टर्ड डाक पर शपथ पत्र के माध्यम से दे सकते है, जो नोटरी द्वारा प्रमाणित होंगे। इनके सम्बन्ध में विवेचनाधिकारी द्वारा आवश्यकता पड़ने पर आगे पूछताछ भी की जा सकती है।
निर्देशों मे यह भी कहा गया है कि धारा 161 के तहत दर्ज किये गये बयान की काॅपी विवेचनाधिकारी द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट देने वाले के साथ ही साथ गवाहों को दी जायेगी, इस सूचना के साथ यदि उनके अपने दिये हुये बयान के साथ कोई आपत्ति या संशय है, उसे तत्काल विवेचनाधिकारी के संज्ञान मे लाया जायेगा। इस कार्य को एक सप्ताह के भीतर प्राथमिकता से करते हुए अपनी बात के पुष्ठि के लिये जरूरी प्रमाण सहित जानकारी दी जायेगी, जिसका उल्लेख विवेचनाधिकारी द्वारा जांच डायरी मे किया जायेगा। जहां जरूरी हो, वहां मोबाइल या लैण्डलाइन फोन पर की गयी कालों का विवरण भी एकत्र किया जायेगा, घटनास्थल के आस पास सीसीटीवी कैमरों की रिकार्डिंग भी ली जायेगी तथा आस-पास संदिग्ध व्यक्तियों की फोन नम्बर या मोबाइल नम्बरों की सूची भी तैयार की जायेगी। यह कार्य बिना किसी विलम्ब या गैर वाजिव देर के किया जायेगा। निर्देशों मे कहा गया है कि सभी मामलों मे विवेचनाधिकारी द्वारा सीआरपीसी के प्रविधानों तथा विवेचना कार्य संबंधी पुलिस एक्ट एवं रेगुलेशन मे दिये गये निर्देशों का सख्ती से पालन किया जायेगा।
उक्त निर्देशों के क्रम में मुजरिया के थानाध्यक्ष ललित मोहन ने दहेज उत्पीड़न के अभियुक्तों को पकड़ने के लिए दबिश दी। अभियुक्त एक विधायक के स्वजातीय थे, जिससे विधायक को व्यक्तिगत रूप से बुरा लगा। विधायक ने अफसरों पर दबाव बना कर ललित मोहन को लाइन हाजिर करा दिया। अफसरों ने भी थानाध्यक्ष का पक्ष नहीं लिया, उन्होंने दबाव में तत्काल कार्रवाई कर दी, जिससे कर्तव्यपरायढ़ अफसर मायूस नजर आ रहे हैं।
उधर लव जेहाद के प्रकरण में अभियुक्त को थाने से छोड़ने वाले उझानी कोतवाली प्रभारी यतेन्द्र बाबू उपाध्याय को भी हटा दिया गया है, उनका इलाहाबाद जोन में तबादला हो चुका है, जहां के लिए उन्हें तत्काल प्रभाव से रिलीव कर दिया गया है, इस पर लोग खुश हैं, लेकिन ललित मोहन और यतेन्द्र उपाध्याय को एक ही तराजू में तौलने से प्रकरण चर्चा का विषय बना हुआ है।