बदायूं के जिस प्राचीन तालाब को समतल करने के लिए भू-माफियाओं की मशीनें दौड़ रही थीं, वहां अब प्रशासन की मशीनें दौड़ती नजर आ रही हैं, क्योंकि इस स्थान पर 21 मई को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। मुख्यमंत्री न आ रहे होते, तो भू-माफियाओं की अपार शक्ति का जनता को अहसास तक नहीं हो पाता। अब तक जनता समझ रही थी कि भू-माफियाओं का दबाव स्थानीय अफसरों पर ही है, लेकिन कब्जाये जा रहे तालाब की जमीन मुख्यमंत्री की जनसभा के लिए चयनित होने से जनता समझ गई है कि भू-माफिया लखनऊ तक हावी हैं।
उल्लेखनीय है कि बदायूं में दातागंज तिराहे के पास कई एकड़ में फैला विशाल प्राचीन तालाब था, जिसमें आधे शहर का गंदा पानी गिरता रहा है, इस तालाब को भू-माफियाओं द्वारा खुलेआम कब्जाया जा रहा है। दर्जनों डंपर और जेसीबी रात-दिन यहाँ चलते रहते हैं। शहर के गंदे पानी की कोई व्यवस्था नहीं हुई। तालाब पटने से आधे शहर का पानी जाम हो गया। मोहल्ला नई सराय के लोगों के घरों में पानी उल्टा घुसने लगा। लोग त्राहि-त्राहि कर उठे, जो प्रशासनिक अफसरों से शिकायत भी करते रहे हैं, लेकिन दबाव के चलते माफियाओं के विरुद्ध कोई अफसर शिकायत तक सुनने को तैयार नहीं हुआ। अभी तालाब के सत्तर प्रतिशत हिस्से पर कब्जा हुआ है, शेष हिस्से को कब्जाने के लिए लगातार जेसीबी और डंपर जुटे हुए हैं, पर किसी अफसर को नहीं दिख रहे।
स्तब्ध कर देने वाली बात यह है कि अब इसी स्थान को मुख्यमंत्री की जनसभा के लिए चयनित कर दिया गया है। 21 मई को बदायूं आ रहे मुख्यमंत्री इसी स्थान पर आयोजित होने वाली विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे, जिससे जनता के बीच यह खुलासा हो गया है कि भू-माफियाओं की लखनऊ तक मजबूत पकड़ है, तभी अफसरों ने इस स्थान को जनसभा के लिए चयनित कर लिया, वरना अफसर तो इस दहशत में होते कि जिले में आने पर मुख्यमंत्री के संज्ञान में यह घटना न पहुंच जाये।
खैर, हमारा कौन, क्या कर सकता है?, इस मनमानी सोच का खुलासा हो गया है। जिस स्थान पर भू-माफियाओं की मशीनें दौड़ रही हैं, उसी स्थान पर प्रशासन की मशीनें भी दौड़ने लगी हैं। प्रशासन की ओर से भी बुलडोजर और जेसीबी जुटा दिए गये हैं, जो मुख्यमंत्री की जनसभा के लिए भूमि समतल कर रहे हैं, इससे परेशान लोग सहम गये हैं, अब कोई भू-माफियाओं की शिकायत करने की हिम्मत तक न जुटा पायेगा। यहाँ यह भी बता दें कि उच्चतम न्यायालय के साथ शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि निजी तालाब को भी समतल नहीं किया जा सकता, जबकि उक्त तालाब ग्राम सभा का बताया जाता है।
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