बदायूं जिले के एक प्रकरण में उच्च न्यायालय- इलाहबाद ने सीबीआई को जाँच करने का आदेश दिया है। जांच के दायरे में एसएसपी- बदायूं और हापुड़ के एसपी के साथ और भी कई पुलिस कर्मी आ सकते हैं, जिससे हड़कंप मच गया है, वहीं पीड़ित पक्ष ने सीबीआई जाँच का आदेश होने पर राहत की सांस ली है।
घटना बदायूं जिले में स्थित इस्लामनगर थाना क्षेत्र के गाँव सिठौली की है, जहाँ से वर्ष- 2014 में उमेश यादव (29) पुत्र चन्द्रपाल यादव गायब हो गया, तो उसकी माँ सत्यवती ने अपहरण की आशंका व्यक्त करते हुए पुलिस को तहरीर दी, लेकिन पुलिस ने 6 अगस्त 2014 को गुमशुदगी की प्राथमिकी दर्ज की, लेकिन पुलिस ने किसी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की, इसके बाद पीड़ित ने मुख्य न्यायायिक मजिस्ट्रेट- बदायूं के समक्ष अपहरण का मुकदमा दर्ज कराने के लिए धारा- 156 (3) के अंतर्गत प्रार्थना पत्र दिया, जिस पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने अपहरण की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत करने का आदेश पारित किया।
अपहरण की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत होने के बाद विवेचना के दौरान चार लोगों के नाम प्रकाश में आये, तो आरोपी पक्ष ने विवेचना स्थानांतरित करा ली। विवेचना बरेली जिले में स्थित थाना भमोरा के एसओ को दी गई, लेकिन आरोपियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो पीड़ित पक्ष उच्च न्यायालय की शरण में चला गया। लंबी सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने सीबीआई- नई दिल्ली को विवेचना करने का आदेश दिया है।
बताया जाता है कि पीड़ित पक्ष ने आरोप लगाया है कि आरोपी के परिवार में कई पुलिस वाले हैं एवं हापुड़ के एसपी योगेश यादव सगे रिश्तेदार हैं। आरोप यह भी है कि योगेश यादव और बदायूं के एसएसपी सौमित्र यादव आपस में सगे रिश्तेदार हैं, जिनके दबाव में उमेश के प्रकरण में आरोपियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई। माना जा रहा है कि सौमित्र यादव व योगेश यादव के साथ और भी कई पुलिस अफसर सीबीआई जाँच में फंस सकते हैं, जिससे हड़कंप मच गया है।