लोकप्रियता, उन्हें देर से मिली लेकिन, जब मिली तो, जबरदस्त मिली: सोनरूपा

लोकप्रियता, उन्हें देर से मिली लेकिन, जब मिली तो, जबरदस्त मिली: सोनरूपा

मेरा मरना तो कोई बात नहीं आपकी आरजू न मर जाये मेरे घर से करीब 24 किलोमीटर पर ही रिहाइश थी उनकी। कस्बा बिसौली लेकिन, उनसे मुलाकात केवल तीन या, चार बार हुई, वो भी नशिस्तों में या, चंदौसी के एक या, दो मुशायरों में। मेरा पारिवारिक परिवेश ऐसा है या, मेरी भी रुचि ऐसी […]

सोनरूपा की पवित्र साहित्यिक गंगा को आचमन करने की जगह प्रदूषित कर गये संतोष आनंद

सोनरूपा की पवित्र साहित्यिक गंगा को आचमन करने की जगह प्रदूषित कर गये संतोष आनंद

कवि और लेखक बनने की अभिलाषा हर मन के अंदर रहती है। जिसके पास भाव हैं, विचार हैं, उसका मन भावों और विचारों को शब्दों में उतारने का भी करता है, फिर भी हर व्यक्ति कवि और लेखक नहीं बन सकता, क्योंकि कवि और लेखक चाहने से नहीं बन सकते। कवि और लेखक ईश्वरीय कृपा […]

सजा प्रकृति ऋतुराज ने, किया सुहाना काज, रतिपति ने भी रच दिया, काम भाव का साज

सजा प्रकृति ऋतुराज ने, किया सुहाना काज, रतिपति ने भी रच दिया, काम भाव का साज

बदायूं की साहित्यिक संस्था शब्दिता द्वारा प्रोफेसर कॉलोनी में वसंत के चलते काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में तमाम कवियत्रियों ने ऐसे-ऐसे रंग भरे कि सभी का मन मोर की तरह नाचने लगा और हर किसी के मुंह से वाह-वाह निकलता रहा। सरिता चौहान ने कहा… वासंती अभिनन्दन करने हुआ सूर्य आदेश बदलने […]

अच्छी कहानी और अच्छा अभिनय होने के बावजूद फ्लॉप हो गई फिल्म छपाक

अच्छी कहानी और अच्छा अभिनय होने के बावजूद फ्लॉप हो गई फिल्म छपाक

विवादों से रूपये कमाने का आइडिया हर बार सफल नहीं होता। जन-भावनाओं को दरकिनार कर जेएनयू जाने वाली फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने अपने साथ निर्माता-निर्देशक और अन्य तमाम ब्रांड्स को भी नुकसान पहुंचा दिया है। बॉक्स ऑफिस पर छपाक का प्रदर्शन अपेक्षाओं के अनुसार नहीं है। फिल्म छपाक लगातार पिछड़ती जा रही है। छपाक […]

लोकार्पण: सोनरूपा का पिछले बरस लगाया हुआ गुलमोहर बन गया वृक्ष

लोकार्पण: सोनरूपा का पिछले बरस लगाया हुआ गुलमोहर बन गया वृक्ष

बदायूं के एक होटल में मंगलवार की शाम को पर्दा उठाया गया, जिसके पीछे लहलहाता ऐसा गुलमोहर निकला कि देखते ही हर कोई वाह-वाह कर उठा। सोनरूपा विशाल ने चुपके से कभी गुलमोहर रोप दिया था और वे सबसे छुपा कर हर दिन सींचती भी रहीं। पल-पल बढ़ता गुलमोहर बड़ा हो गया तो, सोनरूपा को […]

पंकज शर्मा के चाहने वालों ने “पंकज गीतोत्सव” को बना दिया महोत्सव

पंकज शर्मा के चाहने वालों ने “पंकज गीतोत्सव” को बना दिया महोत्सव

दिल्ली स्थित चांदनी चौक पर साहित्य के आसमान में रविवार को रवि ऐसा चमका कि देश भर के साहित्यिक प्रेमी उसकी अद्भुत ऊर्जा पाकर जागृत हो उठे। कमल के खिलने का दौर ही चल रहा है, इस दौर में एक और कमल अपनी ऐसी आभा फैला रहा है कि उसके संपर्क में जो-जो आ रहा […]

चांदनी चौक पर “पंकज गीतोत्सव” की अध्यक्षता करेंगे “बेबाक जौनपुरी”

चांदनी चौक पर “पंकज गीतोत्सव” की अध्यक्षता करेंगे “बेबाक जौनपुरी”

दिल्ली स्थित चांदनी चौक पर 2 जून को कवि सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जिसके हीरो रहेंगे पंकज शर्मा। देश के उभरते हुए गीतकारों की अग्रिम पंक्ति में चमक रहे पंकज शर्मा के नाम पर ही आयोजन किया जा रहा है। पंकज गीतोत्सव में तमाम नामचीन हस्तियाँ भी उपस्थित रहेंगी। दिल्ली में चांदनी चौक […]

… परिंदे को बताओ प्यास का अहसास घातक है: राज लॉयर

… परिंदे को बताओ प्यास का अहसास घातक है: राज लॉयर

नूतन वर्ष की पावन वेला में साहित्यिक रूचि के पाठकों के लिए हम लाये हैं भूराज सिंह “राज लॉयर” के मुक्तक। सभी मुक्तक नये हैं, जिससे और ज्यादा अच्छे लगेंगे। कहा जाता है कि भूराज सिंह “राज लॉयर” के स्तर के मुक्तक हाल-फिलहाल हिंदी जगत में कोई नहीं लिख पा रहा है, इसीलिए वे मंच […]

एक लड़की गाँव में हंसती बहुत थी बेवजह: गरल

एक लड़की गाँव में हंसती बहुत थी बेवजह: गरल

सुप्रसिद्ध कवि नरेंद्र गरल की सर्वाधिक चर्चित रचनाओं में से एक रचना है कि “छोड़ आये गाँव फसलों की फिजायें छोड़ आये”। भारत का बड़ा वर्ग गांवों में रहता है। रोजी, रोटी के साथ अन्य तमाम कारणों से व्यक्ति को गाँव छोड़ना पड़ जाता है पर, तमाम झंझावतों के बीच व्यक्ति के अंदर गाँव हमेशा […]

भूख ईमान से बढ़ कर है तो ठहर जाओ, रोटियां घास की खाओ तो मेरे साथ चलो

भूख ईमान से बढ़ कर है तो ठहर जाओ, रोटियां घास की खाओ तो मेरे साथ चलो

बदायूं जिला गंगा और रामगंगा के बीच में बसा है, इसीलिए यहाँ की भूमि बेहद उपजाऊ है, यहाँ का कण-कण बेशकीमती है। समानुकूल वातावरण मिलने के कारण ही साहित्य की फसल यहाँ हमेशा लहलहाती रहती है। कुछ अंकुर यहाँ की जमीन में ही फूटते हैं तो, कुछ पौधे यहाँ आकर वट वृक्ष बन जाते हैं। […]

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