अंगुलियों के उद्गम स्थान पर ग्रहों का निवास होता है और उस स्थान को वलय या पर्वत कहा जाता है। पर्वतों की ऊंचाई के आधार पर ही व्यक्ति की प्रकृति का निर्णय हो जाता है। जो पर्वत अधिक उठा होगा उस पर्वत का स्वामी ग्रह व्यक्ति पर प्रभावी रहेगा। तर्जनी: अंगूठे के पास वाली अंगुली […]
हम और हमारा शरीर अन्य जीवों की तुलना में अत्यधिक संवेदनशील होता है। इसीलिए भावी घटना के प्रति हमारा शरीर पहले ही आशंकित हो उठता है। शरीर के विभिन्न अंगों का फडक़ना भी भावी घटनाओं के होने का संकेत है। कहने का तात्पर्य यह है कि आम जीवन में रोजाना हमारे साथ होने वाले शकुन-अपशकुन […]
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही ‘देवशयनी’ एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष यह 31 जून को पड़ रही है। इस दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए बलि के द्वार पर पाताल लोक में निवास करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को लौटते हैं। इसी दिन से चौमासे का आरम्भ […]
कलियुग में महाकल्याणकारी व्रत है प्रदोष का व्रत प्रदोष को तेरस व् त्रियोदशी भी कहते है 7 इस व्रत का कोई दिन निश्चित नहीं होता है, जिस दिन त्रियोदशी तिथि संध्या काल में पड़ती है उस दिन इस व्रत को रहा जाता है 7 मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेवजी कैलाश पर्वत के रजत […]