बदायूं जिले के साथ प्रदेश व देश की छवि खराब कर देने वाली कटरा सआदतगंज की घटना से बदायूं जिले की पुलिस ने कोई सबक नहीं लिया है। आज फिर एक महिला की लाश पेड़ पर 15-20 घंटे झूलती रही और पुलिस सीमा विवाद में उलझी रही। पुलिस को इतनी दया भी नहीं आई कि शव को जमीन पर उतार कर रख दे और शव को कपड़े से ढक दे। लोग हत्या से ज्यादा पुलिस की अमानवीयता की चर्चा करते नजर आ रहे हैं।
दिल दहला देने वाली घटना बदायूं जिले के गाँव रोहान और तिगोड़ा के बीच जंगल की है। बताते हैं कि सुबह 8-9 बजे के करीब चरवाहों ने झाड़ियों के बीच पेड़ पर लटक रही एक महिला की लाश को देखा। किसी ने पुलिस को सूचना दी, तो लगभग 12 बजे बिल्सी थाने के दो सिपाही मौके पर पहुंचे और यह कह कर लौट गये कि उनके सीमा क्षेत्र से बाहर है। मुजरिया थाना पुलिस घटना स्थल पर आई ही नहीं, इसी तरह उझानी कोतवाली पुलिस भी अपना क्षेत्र मानने को तैयार नहीं थी, इस बीच शाम हो गई और मौके पर भीड़ भी बड़ी संख्या में जमा हो गई। अंत में सीओ उझानी के निर्देश पर शाम 5 बजे के बाद उझानी कोतवाली पुलिस ने शव को पेड़ से नीचे उतरवाया।
बताया जा रहा है कि पुलिस ने अब जीडी में तस्करा डाल कर पंचनामा भरने की औपचारिकता पूरी कर दी है, जबकि हालात बता रहे हैं कि यौन शोषण के बाद हत्या कर महिला की लाश को पेड़ पर टांगा गया है, क्योंकि शव के गुप्तांग से खून की बूँदें भी टपक रही थीं, इस दुर्दांत घटना को लेकर पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत नहीं किया है। महिला कौन है और कहां की है?, इस बारे में कोई कुछ नहीं बता पा रहा है, इसी बात का लाभ पुलिस भी उठाना चाह रही है।
उक्त घटना में पुलिस की भूमिका को लेकर अधिकाँश लोग दुखी नजर आ रहे हैं, जबकि पुलिस की अमानवीयता के चलते कटरा सआदतगंज की घटना को लेकर देश की वैश्विक पटल पर जमकर फजीहत हो चुकी है, उससे भी पुलिस ने कोई सबक नहीं लिया। बता दें कि 28 मई 2014 की रात को कटरा सआदतगंज में दुष्कर्म के बाद चचेरी बहनों के शव आम के पेड़ पर लटका दिए गये थे, इस घटना में दो सिपाही सर्वेश यादव व छत्रपाल गंगवार और तीन सगे भाई पप्पू यादव, अवधेश यादव व उर्वेश यादव नामजद किये गये थे। पुलिस ने पाँचों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल दिया था, इसके परिजनों की मांग पर यूपी सरकार ने सीबीआई जांच की संस्तुति कर दी थी, जिसमें आरोपी दोष मुक्त कर दिए गये। बाद में सीबीआई की आख्या को न्यायालय ने निरस्त कर दिया। प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है।
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