बदायूं जिले में न इंसान की कीमत है और न ही प्रकृति की। इंसान भी बेरहमी से मारे जा रहे हैं और जानवरों, पेड़ों व तालाबों की भी दिनदहाड़े हत्या हो रही है। खुलेआम हो रहे जघन्य अपराधों पर लगाम न पुलिस लगा पा रही है और न ही प्रशासन, जिससे लोगों का विश्वास कानून-व्यवस्था से ही उठता जा रहा है।
बात तालाबों की करें, तो उच्चतम न्यायालय के कड़े आदेश के बावजूद तालाबों की जिले भर में दिनदहाड़े हत्या हो रही है। समाजवादी पार्टी की सरकार में तालाबों को भू-माफियाओं ने अभियान चला कर कब्जाया। मुख्यालय पर ही प्राचीन तालाब चंदोखर को भी भू-माफिया निगल गये। शहर से सटे नगला शर्की और नबादा में भी कई तालाबों का अस्तित्व मिट गया है। श्रीराम कॉलोनी भी तालाब की कब्र पर ही बनी है। तालाबों को कब्जाने की घटनाओं की जमकर शिकायतें हुईं, पर सपा नेताओं के दबाव में एक भी भू-माफिया के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई। अवैध कब्जों व वसूली की वारदातों से त्रस्त होकर आम जनता ने समाजवादी पार्टी को सत्ता से बेदखल कर दिया और भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता सौंप दी।
भारतीय जनता पार्टी की सरकार से लोगों को उम्मीद थी कि हत्या, अवैध रूप से काटे जा रहे प्रतिबंधित पेड़ों, प्रतिबंधित जानवरों की हत्या पर रोक लग जायेगी, साथ ही तालाबों को भी अब नहीं कब्जाया जायेगा, लेकिन कुछ नहीं बदला, वही सब अब भी दोहराया जा रहा है। सपा सरकार में कब्जाये गये तालाबों से अवैध कब्जा हटवाने की जगह तालाबों पर अभी भी दिनदहाड़े कब्जे हो रहे हैं। ताजा प्रकरण वजीरगंज थाना क्षेत्र के गाँव बगरैन का है।
बताते हैं कि गाँव बगरैन में स्थित प्राचीन तालाब को जेसीबी से दिनदहाड़े समतल किया जा रहा है। एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स कहीं दिखाई नहीं दे रहा। गाँव व क्षेत्र के लोगों ने तहसील स्तर से लेकर जिला स्तर तक के अफसरों को तालाब कब्जाने की सूचना दी, इसके बावजूद कोई अफसर अभी तक मौका मुआयना तक करने नहीं गया है, जिससे लोग बेहद क्षुब्ध नजर आ रहे हैं।
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