बदायूं जिले के कद्दावर नेता और पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा के आह्वान पर बुलाई गई मशविरा काउंसिल की बैठक को लेकर दो दिनों से चली आ रही दुविधा और असमंजस की स्थिति समाप्त हो गई। राजनैतिक भूचाल की आशंका व्यक्त की जा रही थी लेकिन, काउंसिल ने मंथन अयोध्या कांड को लेकर किया और उसे ही नये सिरे से उछाल दिया।
आबिद रजा के आवास पर वरिष्ठ नेता आजम खान की अध्यक्षता में 23 अक्टूबर को सौ से अधिक सदस्यों द्वारा देर रात तक मंथन किया गया, जिसका निचोड़ बुधवार को सामने आया। आजम खान ने हंसते हुए कहा कि सभी दुकानों में ताला डाल कर मशविरा काउंसिल खोल ली है। आगे कहा कि काउंसिल ने देश की दयनीय स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए गृह युद्ध की ओर देश को धकेलने वाली ताकतों की निंदा की है। अल्पसंख्यकों में मुसलमान अपमानजनक दौर से गुजर रहे हैं, जिस पर बर्दास्त करते हुए सत्ता पक्ष के षड्यंत्र का शिकार न होने की सलाह दी जाती है।
अयोध्या कांड पर कट्टरपंथी उकसाने का चाहे जितना प्रयास करें, उनकी साजिश का शिकार नहीं होना है। कोई व्यवस्था और कोई कानून मस्जिद को टूटने से नहीं रोक सका, ऐसे में पक्की तामीर रोकने को कौन कह रहा है, न हिंदू मना कर रहे हैं और न मुसलमान मना कर रहे हैं। भारत सरकार के मंत्री आग लगाने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें कानून पर विश्वास नहीं है तो, क्या किया जा सकता है।
चुनाव जीतने के सभी के अपने-अपने एजेंडे हैं पर, मशविरा काउंसिल सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही देश हित में मानती है, हमारा काम आग लगाना नहीं, बुझाना है, 70 वर्षों में जो देखने/सुनने को मिला है, वह दुनिया ने देखा है। सभी से मायूस होकर मशविराती काउंसिल भारत के मुख्य न्यायाधीश से मिल कर कमजोरों का पक्ष रखेगी और स्वतः संज्ञान लेने की अपील करती है। उम्मीद की आखिरी किरन न्याय व्यवस्था ही है।
हमारे जैसे मजलूम, अकबर की औलाद, अपने ही वतन के गद्दार, पाकिस्तानी और आईएसआई के एजेंट जैसे शब्दों से नवाजे जाते हैं, घर के अंदर और बाहर लिंचिंग के नाम पर नंगा नाच हो रहा है। उम्मीद जताई गई कि भरोसे को तोड़ा नहीं जायेगा। काउंसिल द्वारा तय किया गया कि गठबंधन से बढ़कर गठजोड़ है, जिसकी गाँठ को मजबूत करना है। आजम खान ने कहा कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में गठबंधन नहीं हो सका, उत्तर प्रदेश में और बेहतर हो सकता है, उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन के संबंध में उनसे पूछा नहीं गया है। उन्होंने मुस्लिमों के साथ दलितों की हिमायत करते हुए सवर्ण हिंदुओं की भी आलोचना की।
टिकट को लेकर नाराजगी के सवाल पर उन्होंने कहा कि इतना कमजोर भी नहीं हूँ कि एक-दो टिकट की कहूँ तो, अध्यक्ष मना कर देंगे, इतनी मेरी इज्जत भी है, इतना मेरा अहतराम भी है, इतनी मोहब्बत भी है, इतना हक भी है, इससे ज्यादा शायद मांगूगा भी नहीं। कई मुकदमे दर्ज होने के सवाल पर कहा कि वे भाजपा की राजनैतिक आइटम गर्ल हैं। उन्होंने कहा कि विधान सभा चुनाव उनके नाम पर हुआ और अब लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए उन पर मुकदमे दर्ज कराये जा रहे हैं, जो सब फर्जी हैं।
खैर, समाजवादी पार्टी का नाम तो नहीं लिया गया लेकिन, मस्जिद तोड़ने के समय का हवाला देते हुए कहा कि मंदिर बनने से कौन रोक रहा है, जैसे इशारे समाजवादी पार्टी को ही कठघरे में खड़ा कर दबाव बनाने का ही प्रयास माना जा रहा है। अब अखिलेश यादव आजम खान और आबिद रजा के संबंध में नकारात्मक सोचने से पहले कई बार गहन मंथन करेंगे, क्योंकि सार्वजनिक रूप से अयोध्या कांड उछालने के बाद मुस्लिम वर्ग में संदेश सही नहीं जायेगा। मशविरा काउंसिल के सहारे आजम खान और आबिद रजा अभी कई चाल चलेंगे, जिनसे अखिलेश यादव किस तरह बच पायेंगे, यह देखने वाली विशेष बात रहेगी।
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