बदायूं जिले की तहसील दातागंज क्षेत्र के गाँव रिजौला, माधुरी नगला, गौरी नगला, गोमिद नगला और रौता के रकवे में सौर ऊर्जा प्लांट लगाया जा रहा है। करोड़ों रूपये की लागात का सौर ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए कंपनी पिछले कई महीनों से कार्य कर रही है, लेकिन प्लांट लगाने के लिए कंपनी ने नियमों और शर्तों की धज्जियां उड़ा दी हैं। कंपनी ने पहले कुछ किसानों को नौकरी का लालच देकर और रूपये देकर जमीनों का बैनामा करा लिया। किसानों को अंग्रेजी में लिखा हुआ पत्र दिया गया, जो ऑफर लेटर है, जबकि किसानों को नियुक्ति पत्र बताया गया था।
इसके अलावा कंपनी की ओर से बैनामा कराते समय तमाम किसानों को चैक दिए गये थे, जो बाउंस हो गये हैं, क्योंकि कंपनी के खाते में धन ही नहीं है। किसानों की जमीन चली गई, लेकिन नियुक्ति पत्र की जगह उन्हें ऑफर लेटर थमा दिया और जो चैक दिया गया है, वह भी कागज के रद्दी के टुकड़े जैसा ही है, इस सबके बावजूद कंपनी ने क्षेत्र के आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के सहयोग से बाउंड्रीवॉल बनानी शुरू कर दी। हजारों एकड़ जमीन को घेर लिया गया है, जबकि बाउंड्री के अंदर के तमाम किसान अपनी जमीन किसी भी कीमत पर बेचने को तैयार नहीं हैं, साथ ही कंपनी ने गाँव रिजौला, माधुरी नगला, गौरी नगला, गोमिद नगला और रौता की सैकड़ों बीघा ग्राम समाज की भी जमीन ने कब्जा ली। किसानों के खेतों में से एक रास्ता भी निकाल दिया गया, जिससे अन्य तमाम किसानों के खेत बर्बाद हो गये हैं।
बेहद पिछड़ा क्षेत्र है और अधिकांश लोग अशिक्षित और गरीब हैं, जिससे कंपनी की मनमानी के विरुद्ध नहीं बोल पा रहे हैं। कुछ जागरूक और साहसी लोग सामने आये, तो पीड़ित किसान लामबंद होने लगे। पीड़ित किसानों ने 9 दिसंबर को कंपनी के निर्माणाधीन प्लांट के गेट पर प्रदर्शन भी किया, जिससे घबरा कर कंपनी के लोग उस दिन भाग गये थे। बताते हैं कि बाद में तमाम सशस्त्र लोग आये, पर किसान नहीं डरे, तो पीड़ित किसानों का नेतृत्व करने वालों के विरुद्ध आज कंपनी की ओर से तहरीर दे दी गई है, इससे क्षेत्र के किसान भड़क भी सकते हैं। हालात खराब हों, इससे पहले प्रशासन को कंपनी की मनमानी पर शिकंजा कस देना चाहिए।
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