नियमों के विरूद्ध बनाये जा रहे हैं थाना प्रभारी, री-पोस्टिंग भी हुई

नियमों के विरूद्ध बनाये जा रहे हैं थाना प्रभारी, री-पोस्टिंग भी हुई

बदायूं जिले में थाना प्रभारी बनाने के नियम पुलिस विभाग में चर्चा का विषय बने हुए हैं। जातिगत आंकड़े भी विभाग में मंथन का विषय बने हुए हैं। विभागीय और शासनादेशों के अनुरूप थाना प्रभारी नियुक्त नहीं किये जा रहे हैं, इसलिए माना जा रहा है कि कानून व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है।

सूत्रों का कहना है कि विभागीय आदेश है कि निलंबित हुए थाना प्रभारी को जिले में पुनः थाना प्रभारी नहीं बनाया जायेगा। शासनादेश है कि एक बार थाने में रह चुके प्रभारी को उसी थाने का पुनः प्रभारी नहीं बनाया जायेगा। जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को कानून व्यवस्था सुदृढ़ करने के उद्देश्य से थाना प्रभारी नियुक्त करने का विशेषाधिकारी होता है लेकिन, बात नियमों की करें तो, निलंबित हो चुके व्यक्ति को जिले में थाना प्रभारी नहीं बनाया जा सकता, साथ ही एक बार थाने में रह चुके व्यक्ति को भी पुनः थाना प्रभारी नहीं बनाया जा सकता।

उसहैत के थाना प्रभारी राजीव कुमार पूर्व में थाना उसहैत के प्रभारी रह चुके हैं, इसके बाद विभिन्न स्थानों पर दायित्व का निर्वहन करते हुए इन्हें उझानी का कोतवाल बनाया गया था, जहाँ से इन्हें निलंबित होना पड़ा। संभवतः 16 मई को राजीव कुमार को निलंबित किया गया था एवं सहसवान के कोतवाल अनिल सिरोही को उसी दिन लाइन हाजिर किया गया था। राजीव कुमार को पुनः उसहैत का एसओ बना दिया गया है एवं अनिल सिरोही को थाना सिविल लाइंस का प्रभारी बना दिया गया है। निलंबन के बाद जिले में प्रभारी न बनाने के नियम का पालन नहीं किया गया और न ही उसी थाने में पुनः प्रभारी बनाने के नियम का ध्यान रखा गया।

जिले भर में जाति विशेष के लोग भी चर्चा का विषय बने हुए हैं, जबकि विपक्ष ठाकुरों की तैनाती का मुद्दा उठाता रहा है। सूत्रों के अनुसार जिले में सवर्ण थाना प्रभारी पचास प्रतिशत से कम हैं। बताया जा रहा है कि थाना अलापुर में तैनात राजीव शर्मा समाजवादी पार्टी की सरकार में अलापुर के ही थाना प्रभारी रहे थे एवं यह भी कोतवाली उझानी से निलंबित हुए थे, इसके बाद इन्हें भी पुनः थाना अलापुर दे दिया गया है, जबकि कई तेजतर्रार सब-इंस्पेक्टर इधर-उधर तैनात कर रखे हैं, उन्हें कार्यभार दिया गया होता तो, जिले की कानून व्यवस्था ज्यादा बेहतर हो सकती थी।

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