बदायूं नगर पालिका परिषद अब प्रशासक के हवाले है, लेकिन अभी भी न शहर के हालात सुधरे हैं और न ही कार्यालय व्यवस्थित हुआ है। निवर्तमान पालिकाध्यक्ष फात्मा रजा के पति पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा के प्रभाव में आने के चलते प्रशासक निशा मिश्रा सिर्फ कागजी औपचारिकतायें पूर्ण करती नजर आ रही हैं। कार्यालय के अधिकांश कर्मचारी आज भी आबिद रजा के दिशा-निर्देश के अनुसार कार्य करते नजर आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि आबिद रजा लोकप्रिय पालिकाध्यक्ष रहे हैं। पालिकाध्यक्ष के रूप में आबिद रजा लोगों के सामने आदर्श बन कर उभरे, उसी लोकप्रियता के चलते आबिद रजा आसानी से विधायक चुन लिए गये। उपचुनाव में उनकी पत्नी फात्मा रजा रिकॉर्ड मतों से पालिकाध्यक्ष चुन ली गईं। लोगों का मानना था कि पति के विधायक होने से पालिकाध्यक्ष फात्मा रजा शहर का चहुंमुखी विकास कर पायेंगी, लेकिन हुआ एक दम विपरीत। फात्मा रजा पूरी तरह असफल साबित हुई हैं। विकास कार्य पक्षपात तरीके से किये गये हैं और सफाई व्यवस्था चौपट रही है। लोगों को लगता था कि प्रशासक नियुक्त होने के बाद हालातों में सुधार हो जायेगा। भाजपाईयों ने ईओ लालचंद भारती का तबादला कराया और ललतेश सक्सेना को कार्यकारी ईओ नहीं बनने दिया। भाजपाई चाहते थे कि कैडर का ईओ दबाव नहीं मानेगा और शहर के हालात सही कर देगा।
बरेली नगर निगम में तैनात निशा मिश्रा को बदायूं का ईओ बनाया गया, तो लोग बेहद खुश हुए, लेकिन पालिकाध्यक्ष फात्मा रजा ने उन्हें कई दिनों तक ज्वाइन नहीं कराया, बैंक खाते नहीं खुल सके, जिससे पालिका में आर्थिक संकट गहरा गया, लेकिन प्रशासन कुछ नहीं कर सका। सूत्रों का कहना है कि आबिद रजा के कद का अहसास होने से निशा मिश्रा ने अंदरूनी समझौता कर लिया कि राजनैतिक दखल उनका ही रहेगा और वे भाजपाईयों को हावी नहीं होने देंगी, इसी समझौते के चलते निशा मिश्रा ने कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद फात्मा रजा से द्वार का उद्घाटन कराया।
सूत्रों का कहना है कि फात्मा रजा पालिकाध्यक्ष के रूप में मिलने वाली समस्त सुविधायें आज भी भोग रही हैं। गाड़ी अभी भी उनके पास है, साथ ही कार्यालय के समस्त कर्मचारी उनके दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य कर रहे हैं एवं उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। निशा मिश्रा बरेली से ही आती हैं, उनका अधिकांश समय आने-जाने में ही निकल जाता है एवं बीच-बीच में नहीं भी आती हैं, इसीलिए प्रशासक नियुक्त होने के बाद शहर के हालात और ज्यादा खराब हो गये। यह भी बता दें कि पूर्व विधायक आबिद रजा को नियमों की गहरी जानकारी है, सपा सरकार में उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त था एवं वे आजम खां के बेहद करीबी कहे जाते हैं, जिससे नगर विकास विभाग में उनकी भी तूती बोलती थी, ऐसे शक्तिशाली आबिद रजा से कोई दुश्मनी ठानना नहीं चाहेगा। शायद, इसीलिए निशा मिश्रा ने भी हथियार नहीं उठाये, जिससे लोग अब यह तक कहने लगे हैं कि निशा मिश्रा की तुलना में ललतेश सक्सेना बेहतर कार्य करते।
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