बदायूं लोकसभा क्षेत्र के सांसद धर्मेन्द्र यादव नगर निकाय चुनाव में स्वयं ही चाणक्य की भूमिका में आ गये हैं। सांसद ने अभी एक चाल चली है, जिसका काट भाजपा नहीं खोज पा रही है। उत्साह मायूसी में बदल गया है, साथ ही मंथन करते-करते भाजपा के कार्यकर्ता और नेता कोमा की अवस्था में पहुंच गये हैं।
जी हाँ, नगर निकाय चुनाव में हर दल के नेता जिले में अपना झंडा बुलंद करना चाहते हैं, लेकिन शीर्ष नेतृत्व की प्रतिष्ठा बदायूं नगर पालिका परिषद पर ही लगी हुई है। फात्मा रजा के साथ डॉ. राबिया के चुनाव लड़ने की घोषणा करने से भाजपाई बेहद उत्साहित थे, इन दोनों के चुनाव लड़ने पर भाजपाईयों को नगर पालिका के कार्यालय में गंगाजल छिड़कने के सपने आने लगे थे, लेकिन सांसद धर्मेन्द्र यादव की पहल पर आबिद रजा और वसीम अंसारी एवं डॉ. शकील के बीच उत्पन्न हुई कड़वाहट मिठास में बदल गई, इसका खुलासा जैसे ही गौतम संदेश ने किया, वैसे ही भाजपाईयों का उत्साह मायूसी में बदल गया।
चुनाव की अभी शुरुआत है, मतदान तक कई तरह के राजनैतिक बदलाव होंगे और सटीक परिणाम मतगणना के बाद ही ज्ञात हो सकेंगे, लेकिन भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सांसद की एक चाल का तोड़ पूरी भाजपा नहीं खोज पा रही है। आबिद रजा और वसीम अंसारी एवं डॉ. शकील के बीच समझौता होने से भाजपाई स्तब्ध हैं, इन दोनों के बीच चल रही जंग से हर भाजपाई को बड़ी आशा थी, जो धूमिल हो गई है। भाजपा नये सिरे से रणनीति बना रही है, जिसका खुलासा गुरूवार को हो जायेगा।
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