बदायूं में कुछ भी संभव है, यहाँ नियम-कानून बहुत ज्यादा मायने नहीं रखते। भाजपाई स्वयं को बेदाग साबित करने का प्रयास कर रहते हैं, वहीं अफसर ईमानदारी का ढोल पीटते रहते हैं पर, खुलेआम हो रही लूट पर कोई बोलता तक नहीं। जहाँ स्वहित है, वहां मौन धारण कर लेते हैं और जहाँ स्वहित नहीं है, वहां त्वरित कार्रवाई कर देते हैं।
नगर पालिका क्षेत्र में चौंकाने वाला प्रकरण सामने आया है। कारमेकलगंज में नगर पालिका ने एक व्यक्ति को दुकान किराये पर दी थी। नगर पालिका की किराये पर मिली दुकान का मालिकाना हक नहीं मिलता, इसके बावजूद युवक ने एक गैंग को 80 लाख रूपये में दुकान बेच दी। गैंग ने एक दुकान को आठ हिस्सों में बाँट दिया। सूत्रों का कहना है कि गैंग ने एक दुकान की आठ दुकानें बना कर ढाई करोड़ रूपये में बेच दीं, जबकि नियमानुसार ऐसा नहीं कर सकते।
सूत्रों का कहना है कि दुकानों का नक्शा भी पास कराया गया है। अगर, ऐसा है कि तो पालिका कर्मियों के साथ प्रकरण प्रशासनिक अफसरों के संज्ञान में भी है मतलब, पालिका और प्रशासनिक अफसरों की मिलीभगत से ही ऐसा हुआ है। खैर, प्रकरण की सत्यतता जाँच के बाद ही सामने आ सकेगी पर, यह सवाल उठता है कि जाँच कौन और क्यों करायेगा? यह भी बता दें कि ऐसा ही प्रकरण वाटर वर्क्स रोड पर भी है, यहाँ एक कुख्यात ठेकेदार ने पालिका की दुकानें हड़प ली हैं।
उल्लेखनीय है कि नगर विकास राज्यमंत्री महेश चंद्र गुप्ता सदर क्षेत्र से भाजपा विधायक हैं, उनका नारा है कि भ्रष्टाचार नहीं, काम होगा, इसके बावजूद उनके ही गृह क्षेत्र में निकाय की संपत्ति को खुलेआम लूटा जा रहा है और प्रशासनिक अफसर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। महेश चंद्र गुप्ता स्थानीय स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने से बचना चाहते हैं, जबकि स्थानीय स्तर पर ईमानदारी और पारदर्शिता का संदेश नहीं दे पाये तो, प्रदेश में वे कैसे सफल हो पायेंगे, उन्हें हाईकमान से वार्ता कर पहले अपना क्षेत्र सही करना होगा।
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