बदायूं नगर पालिका परिषद की पालिकाध्यक्ष दीपमाला गोयल कर्तव्य परायढ़ता और ईमानदारी के नित नये कीर्तिमान स्थापित करती नजर आ रही हैं। दीपमाला गोयल की सक्रियता हर किसी को प्रभावित कर रही है, लोग उनकी कार्यप्रणाली के उदाहरण देने लगे हैं, जिससे उनकी शहर में जमकर प्रशंसा की जा रही है, उनका कार्यकाल सदियों तक याद किया जाता रहेगा।
दीपमाला गोयल ने पालिकाध्यक्ष के रूप में शपथ ग्रहण की, उसी दिन से नगर पालिका परिषद कार्यालय के हालात बदल गये, शहर के हालात बदल गये। किताबों और कहानियों में सुनते रहे हैं कि चाणक्य सरकारी कार्य सरकारी दीपक जला कर करते थे और निजी कार्य करते समय निजी दीपक जला लेते थे, ऐसी की ईमानदारी की मिसाल दीपमाला गोयल पेश कर रही हैं, वे निजी कार्य से कहीं जाती हैं तो, गाड़ी में तेल अपनी कमाई के रूपये से ही भरवाती हैं।
दीपमाला गोयल के परिवार का कोई सदस्य नगर पालिका में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। बताते हैं कि नगर पालिका का शानदार गेस्ट हाउस है, जिसमें उन्होंने अपने परिवार के लोगों को झाँकने तक की अनुमति नहीं दी है। कार्यालय में कोई बाबू आम जनता से एक रुपया नहीं ले सकता। सफाई कर्मी न पहुंचे तो, वे स्वयं उस मोहल्ले में पहुंच जाती हैं और सफाई करने को स्वयं फावड़ा उठा लेती हैं। कहीं पेयजल की समस्या आ जाये तो, वे पाइप को स्वयं ही इसलिए सही करने जुट जाती हैं कि जल विभाग के कर्मचारी शर्मसार हो जायें।
दीपमाला गोयल की सक्रियता का ही असर है कि उन्हें देख कर पालिका के अधिकारी-कर्मचारी रात-दिन जनसेवा में जुटे रहते हैं। हालात ऐसे हो चुके हैं कि लोग घर के बाहर कूड़ा रख दें और पलट कर देखें तो, वहां से कूड़ा गायब मिलता है मतलब, सफाई कर्मी चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं। पहले पेयजल को लेकर त्राहि-त्राहि मची रहती थी पर, अब लोगों को याद ही नहीं आता कि पानी कब नहीं आया था।
इसी तरह बदायूं को ग्रीन बनाने की दिशा में दीपमाला गोयल रात-दिन जुटी रहती हैं। बड़े पैमाने पर पौधारोपण कर रही हैं, जिसका असर कुछ वर्षों बाद देखने को मिलेगा। माना जा रहा है कि दो-तीन वर्षों बाद शहर में जंगल से अधिक पेड़ नजर आयेंगे, इसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ दीपमाला गोयल को ही दिया जायेगा।
सोमवार को तो चौंकाने वाली घटना सामने आई। क्रिश्चियन हायर सेकेंड्री स्कूल के गेट पर दुकान तोड़ कर पुनः निर्माण किया जा रहा था। सूत्रों का कहना है कि पालिकाध्यक्ष के संज्ञान में आया तो, उन्होंने तत्काल निर्माण रुकवा दिया और बन चुकी दुकान ध्वस्त करा दी। बताया जा रहा है कि दुकान का निर्माण कराने में किसी बड़े भाजपा नेता का ही हाथ था लेकिन, उन्होंने दलीय विचारधारा से ऊपर उठ कर जनहित में त्वरित निर्णय लिया।
भाजपाईयों को भी सोचना चाहिए कि जो महिला नित नये आदर्श स्थापित कर रही है, अपने निर्णयों में परिजनों तक को शामिल नहीं कर रही, ऐसे में भाजपाईयों के कहने से गलत कार्य कैसे होने देगीं। भाजपाईयों को शहर के हित में सहयोग करना चाहिए एवं हाईकमान से सिफारिश कर उनकी जैसी कार्यप्रणाली प्रदेश भर में लागू कराना चाहिए, क्योंकि प्रत्येक शहर के हालात बदायूं जैसे हो जायेंगे तो, इसका सीधा लाभ भाजपा को ही होगा।
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