बदायूं शहर अस्त-व्यस्त लग रहा है। जहां जरूरत है, वहां के लोग विकास को तरस रहे हैं और जहां जरूरत नहीं है, वहां निरर्थक काम भी दोबारा होते नजर आ रहे हैं। तमाम मोहल्ले ऐसे हैं, जहाँ लोग पानी को तरस रहे हैं, वहीं तमाम स्थान ऐसे भी हैं, जहाँ पानी प्राकृतिक जल स्रोत की तरह सड़क के बीच में बहता रहता है, इस सबसे लोग बेहद परेशान हैं लेकिन, कोई सुनने वाला ही नहीं है।
नई सराय होकर जाने वाली सड़क बरेली हाईवे को जोड़ती है, यहाँ लंबे समय से पुलिया टूटी हुई है, जिसके कारण जाम लगा रहा है एवं हादसे भी होते रहते हैं लेकिन, इस पुलिया का निर्माण करने की दिशा में कोई पहल तक करता नजर नहीं आता, इसके विपरीत डीएम चौराहे पर सड़क बिल्कुल सही थी, फिर भी अच्छी-भली ईंटों को उखाड़ कर पुनः इंटर लॉकिंग कर दी गई है, क्योंकि इसमें व्यक्तिगत रूप से बड़ा लाभ होता है। बताते हैं कि ईंट बनाने का अपना प्लांट भी लगा लिया है, जिससे इंटर लॉकिंग सड़कें बनाने को वरीयता दी जा रही है।
पेयजल की बात करें तो, तमाम मोहल्ले पानी को तरस रहे हैं, वहां की व्यवस्था दुरुस्त करने की दिशा में कदम नहीं उठाया जा रहा, वहीं कई स्थान ऐसे हैं, जहाँ सड़क फोड़ कर पानी बहता रहता है, जिससे पानी की बर्बादी होती है, वहीं सड़कें भी खराब हो रही हैं। एसएसपी ऑफिस के सामने और एसएसपी आवास के सामने लगता है, जैसे प्राकृतिक जल स्रोत हैं। तमाम प्रमुख स्थानों से हरे और प्रतिबंधित पेड़ काट लिए गये हैं। एसएसपी ऑफिस के बराबर से पेड़ काट लिया गया पर, उसके नीचे सड़क से बहता पानी नहीं दिखा, जबकि यहाँ से हर दिन कई बार वरिष्ठ अफसर भी गुजरते हैं, इस ओर किसी का ध्यान तक नहीं जाता।
आम जनता जनप्रतिनिधियों, पार्टी और सरकार का आंकलन प्राथमिक जरूरतों के अनुसार करती है। प्राथमिक सुविधाओं की दृष्टि से शहर के हालात बहुत अच्छे नजर नहीं आते, जिसका दुष्परिणाम भाजपा प्रत्याशी को चुनाव में उठाना पड़ सकता है।
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