बदायूं लोकसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक कार्यकर्ताओं से आवेदन मांगे थे, लेकिन वर्तमान सांसद धर्मेन्द्र यादव के अलावा किसी और ने आवेदन ही नहीं किया। एक मात्र आवेदन मिलने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, पर पार्टी की ओर से एक मात्र आवेदन मिलने का कोई कारण नहीं बताया गया है।
समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष आशीष यादव द्वारा बताया गया है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी ने इच्छुक कार्यकर्ताओं से आवेदन मांगे थे। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 31 जनवरी तक थी। वर्तमान सांसद धर्मेन्द्र यादव के अलावा किसी और ने आवेदन नहीं किया। एक मात्र मिले आवेदन को प्रांतीय और राष्ट्रीय नेतृत्व को प्रेषित कर दिया गया है। सामान्य बात है, लेकिन राजनैतिक दृष्टि से गंभीरता से विचार किया जाये, तो एक मात्र आवेदन मिलने पर कई तरह के सवाल स्वतः खड़े हो रहे हैं।
धर्मेन्द्र यादव कौन हैं, क्या हैं, यह सार्वजनिक है ही, इसके अलावा व्यक्तिगत तौर पर भी उनकी जमीनी स्तर पर बेहद मजबूत पकड़ है, लोकप्रिय भी हैं, कर्मठ भी हैं, जुझारू भी हैं, व्यवहारिक भी हैं, इसीलिए नरेंद्र मोदी नाम का तूफान उन्हें पिछले चुनाव में हिला तक नहीं पाया, इस दृष्टि वे दावेदार के साथ पुनः टिकट पाने के अधिकारी भी हैं, फिर भी सवाल यह है कि किसी और ने आवेदन क्यों नहीं किया?
सपा से टिकट पाने के लिए नगर निकाय चुनाव में भी लंबी सूची रहती है, विधान सभा चुनाव में भी मारामारी रहती है, ऐसे में कोई दूसरा व्यक्ति सपा में ऐसा है ही नहीं, जिसकी चाहत सांसद बनने की हो? क्या धर्मेन्द्र यादव के प्रति स्थानीय कार्यकर्ताओं में इतना ज्यादा सम्मान है, जिसके चलते किसी ने आवेदन नहीं किया? क्या सपा के संस्थापक के भतीजे और राष्ट्रीय अध्यक्ष के अनुज होने के कारण कार्यकर्ताओं को यह उम्मीद है कि धर्मेन्द्र यादव के मुकाबले किसी और को टिकट मिलेगा ही नहीं? क्या कार्यकर्ता डरते हैं कि उन्होंने आवेदन कर दिया, तो उन्हें धर्मेन्द्र यादव के कोप का शिकार होना पड़ सकता है? क्या समाजवादी पार्टी की साख इतनी खराब हो गई है, जिसके चलते कोई और टिकट मांगने तक को तैयार नहीं हैं?, ऐसे ही अन्य तमाम प्रश्न हैं, जिनका जवाब पार्टी को देना चाहिए।
(गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)
पढ़ें: वहाबी होने के साथ पाखंडी भी हैं पूर्व सांसद सलीम इकबाल शेरवानी