बदायूं जिले की राजनीति में बड़ा बदलाव हो सकता है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान तमाम नेताओं के साथ मंगलवार को आयेंगे। आजम खान की मध्यस्तता से धर्मेन्द्र यादव और आबिद रजा के बीच चली आ रही बर्फ पिघल सकती है, वहीं कुछ ऐसा भी हो सकता है, जिसका जवाब आबिद रजा को दे पाना आसान न होगा।
धर्मेन्द्र यादव और आबिद रजा के बीच लंबे समय से संवादहीनता कायम है। हालाँकि दोनों की ओर से अभी तक नाराजगी जाहिर नहीं की गई है। बताते हैं कि पिछले दिनों लखनऊ में अखिलेश यादव की पहल पर आजम खान की मध्यस्तता से धर्मेन्द्र यादव और आबिद रजा के बीच वार्ता हुई थी पर, राजनैतिक नुकसान होने की संभावनाओं के चलते दोनों नेता सार्वजनिक रूप से मिलने से कतरा रहे थे, इसीलिए उस बातचीत को अभी तक जमीन पर नहीं उतारा जा सका है। आम जनता के बीच जा चुके नाराजगी के संकेत से दोनों नेता परेशान हैं। धर्मेन्द्र यादव और आबिद रजा की छवि खराब न हो और ऐसा संदेश भी जाये, जिसका धर्मेन्द्र यादव को चुनाव में लाभ हो, इसी पटकथा को लिखने आजम खान आ रहे हैं।
बता दें कि आजम खान के नेतृत्व में आबिद रजा मशवराती काउंसिल के तहत जिले में ही नहीं बल्कि, जिले के बाहर भी मुस्लिमों को राजनैतिक रूप से जागरूक करने की पहल कर रहे थे। उनके प्रयासों से मुस्लिम समाज राजनैतिक रूप से एकजुट होने भी लगा था, इस बीच सलीम इकबाल शेरवानी सक्रिय हो गये तो, सामाजिक अभियान पर राजनीति भारी पड़ गई। आबिद रजा के अभियान का सीधा लाभ सलीम इकबाल शेरवानी मिलता, सो उन्होंने अभियान पर विराम लगा दिया।
आबिद रजा के शांत होने पर ही जिले भर में सवाल उठने लगे। अब माना जा रहा है कि तमाम नेताओं के साथ बैठक के बाद आजम खान आम जनता को बता देंगे कि देश संकट में है, लोग संकट में हैं, कट्टरपंथी ताकतों को हराने के लिए धर्मेन्द्र यादव और समाजवादी पार्टी को समर्थन देना जरूरी हो गया है लेकिन, आम मुस्लिम अब इस तर्क को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं देने वाला, साथ ही मुस्लिम समाज सवाल भी करेगा, जिसके जवाब कोई नहीं दे पायेगा।
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