बदायूं लोकसभा क्षेत्र समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है, इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने सर्वाधिक मजबूत किला ढहा दिया। हर विधान सभा क्षेत्र में सपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव को अपेक्षा से कम वोट मिले लेकिन, ब्रजेश यादव ने किसी और को दखल नहीं देने दी, जिससे सहसवान विधान सभा क्षेत्र में धर्मेन्द्र यादव को सबसे बड़ी जीत मिली है।
बदायूं लोकसभा क्षेत्र में गुन्नौर सर्वाधिक मजबूत विधान सभा क्षेत्र माना जाता है। कहा जाता है कि सपा प्रत्याशी सभी क्षेत्रों से हार जाये, फिर भी गुन्नौर क्षेत्र अकेला ही सांसद बनाने की क्षमता रखता है, इसीलिए समाजवादी पार्टी के विरुद्ध चुनाव लड़ने का साहस बड़े नेता नहीं कर पाते, इस बार सब उल्टा हो गया। सपा की दृष्टि से सर्वाधिक विश्वसनीय गुन्नौर क्षेत्र ने इस बार मात्र 9628 वोटों की बढ़त दी, इसके बाद दूसरा सर्वाधिक मजबूत क्षेत्र बिसौली माना जाता है लेकिन, यहाँ चुनाव का इतना घटिया प्रबंधन हुआ कि भाजपा का कमजोर संगठन होने के बावजूद सपा 5200 वोटों से हार गई।
बदायूं और बिल्सी विधान सभा क्षेत्र भाजपा-सपा के समान माने जाते हैं। बदायूं से 14151 और बिल्सी से 23440 वोटों से सपा हार गई। सहसवान विधान सभा क्षेत्र सपा का ही गढ़ माना जाता है, यहाँ भी सपा के वोट विधान सभा चुनाव की तुलना में घटे हैं पर, सहसवान से 14780 वोटों से सपा जीतने में सफल रही, इसके पीछे कारण ब्रजेश यादव की सूझ-बूझ ही मानी जा रही है।
सहसवान विधान सभा क्षेत्र का चुनावी प्रबंधन ब्रजेश यादव स्वयं करते हैं। लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने धर्मेन्द्र यादव को जिताने की गारंटी इसी शर्त पर ली थी कि कोई और दखल न दे। धर्मेन्द्र यादव ने ब्रजेश पर ही विश्वास जताया, जिसका परिणाम यह हुआ कि उनकी इज्जत सिर्फ सहसवान क्षेत्र में ही बची है। हालाँकि वोट प्रतिशत घटा है पर, गुन्नौर और बिसौली की तुलना में सहसवान क्षेत्र से 14780 वोटों से जीत मिलना बहुत बड़ी बात है।
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