बदायूं लोकसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेन्द्र यादव के निर्णयों और कार्य प्रणाली को लेकर हर क्षेत्र में प्रश्न चिन्ह लगता नजर आ रहा है। कुछ लोग खुल कर आवाज उठा रहे हैं, वहीं कुछ लोग अंदरूनी तौर पर नाखुश नजर आ रहे हैं। बड़ा नेता होने के कारण धर्मेन्द्र यादव के विरुद्ध सोचना भी लोग पाप समझते थे, लेकिन गलत निर्णयों की अति होने के कारण लोग अब भावनाओं को दबा नहीं पा रहे हैं।
सांसद और विधायक नगर निकायों के भी प्रतिनिधि होते हैं। नगर निकायों की बैठकों में भाग लेने के लिए सांसद और विधायक अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर देते हैं। जनप्रतिनिधियों का प्रतिनिधि नियुक्त करने का विशेषाधिकार है, लेकिन सार्वजनिक जीवन में हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। सांसद धर्मेन्द्र यादव को भी अपना प्रतिनिधि नियुक्त करने का विशेष अधिकार है, पर उस पर सवाल उठाने को भी किसी को रोका नहीं जा सकता।
धर्मेन्द्र यादव ने नगर पंचायत वजीरगंज में चेयरमैन के पति उमर कुरैशी को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया, तो हर कोई स्तब्ध रह गया, इस निर्णय से समाजवादी पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओं के साथ तमाम मुस्लिम और हिंदू भी नाखुश नजर नजर आ रहे हैं, इसी तरह सहसवान नगर पालिका परिषद में नियुक्त किया गया उनका प्रतिनिधि चर्चा का विषय बना हुआ है।
जी हाँ, धर्मेन्द्र यादव ने सहसवान में अपना प्रतिनिधि जमशेद अली “गुड्डू” को नियुक्त किया है, जबकि गुड्डू और इनके पिता पिछले ही चुनाव में सभासद का चुनाव हार चुके हैं, साथ ही इन पर यह भी आरोप है कि इन्होंने सपा प्रत्याशी का चुनाव नहीं लड़ाया, इसके अलावा चौंकाने वाली बात यह है कि जमशेद “गुड्डू” अलीगढ़ के एसीजेएम न्यायालय में विचाराधीन मुकदमा में अभियुक्त है, जहाँ से गिरफ्तार करने का वारंट जारी हो चुका है, इस सबके बावजूद धर्मेन्द्र यादव ने जमशेद को प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया, तो लोग सवाल तो उठायेंगे ही।
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