नामांकन प्रक्रिया शुरू, चुनाव कार्यालय तक नहीं खोल पाई है भाजपा

नामांकन प्रक्रिया शुरू, चुनाव कार्यालय तक नहीं खोल पाई है भाजपा

बदायूं लोकसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी संघमित्रा मौर्य सत्ता और पिता कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के सहारे ही चुनाव लड़ने का प्रयास करती नजर आ रही हैं। जमीन पर उतर कर आम जनता से सीधे जुड़ने की जगह संघमित्रा मौर्य सेलिब्रेटी की तरह जनसभाओं के माध्यम से ही आम जनता से रिश्ता कायम करना चाहती हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा को लेकर अपेक्षित उत्साह नहीं दिख रहा।

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नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिससे प्रत्याशी नामांकन पत्र जमा करने लगे हैं लेकिन, अभी तक भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी संघमित्रा मौर्य विधान सभा क्षेत्रों तक में चुनाव कार्यालय नहीं खोल पाई है। भारतीय जनता पार्टी का बूथ स्तर तक बेहद मजबूत संगठन है, उस संगठन का प्रयोग सत्ता और कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के प्रभाव में ही करने का प्रयास किया जा रहा है। कार्यकर्ताओं तक चुनाव में मिलने वाली सहूलियतें अभी तक नहीं पहुंच पाई हैं, जिससे कार्यकर्ता भी बहुत ज्यादा उत्साहित नजर नहीं आ रहा है। कार्यकर्ता चाहता है कि उसका प्रत्याशी उसे जाने, प्रत्याशी का मोबाइल नंबर उसके पास हो और उसका नंबर प्रत्याशी के पास हो, वह एक बार के बाद पुनः मिले तो, उसका प्रत्याशी उसे नाम से संबोधित करे पर, संघमित्रा मौर्य अभी तक कार्यकर्ताओं से ऐसा रिश्ता बनाने की दिशा में पहल करती नजर नहीं आ रही हैं।

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संघमित्रा मौर्य सेलिब्रेटी के अंदाज में जनसभाओं के माध्यम से ही आम जनता से जुड़ने का प्रयास कर रही हैं, वे गाँव की गलियों की ओर रुख कर ही नहीं रही हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में अपेक्षा के अनुरूप मजबूती नहीं आ पा रही है। बाहरी प्रत्याशी होने का उनका दाग इसलिए धुल गया है कि तीन बड़े प्रत्याशी बाहरी ही हैं लेकिन, सलीम इकबाल शेरवानी पांच बार सांसद रह चुके हैं और धर्मेन्द्र यादव भी लगातार दो बार से सांसद हैं, साथ ही उनकी विशाल कोठी भी है, ऐसे में उनके प्रति अपनत्व का भाव आ जाना स्वभाविक है पर, संघमित्रा मौर्य होटल में निवास कर रही हैं, जिसका क्षेत्र में बहुत अच्छा संदेश नहीं जा रहा है, क्योंकि हर कोई यह मान ही लेता है कि मतदान की शाम को ही वे चली जायेंगी।

भाजपा हाईकमान ने टिकट की घोषणा की तो, लोगों को लगा कि समाजवादी पार्टी से मुकाबला करने के लिए जैसे दबंग पृष्ठ भूमि के प्रत्याशी की आवश्यकता थी, वैसी ही प्रत्याशी हैं संघमित्रा मौर्य पर, सामने आने के बाद लोगों के मन में दबंग वाली छवि कमजोर हुई है। भाजपा सरकार होने के चलते समर्थकों का मनोबल बढ़ा हुआ था। गुन्नौर में संघमित्रा मौर्य ने दावा भी किया था कि भाजपा की सरकार में शोषण नहीं हो पायेगा, फिर भी कोई गुंडा आ जाये तो, डरें नहीं, वे सबसे बड़ी गुंडी हैं, जिस सभा में वह बड़ी गुंडी होने का दावा कर रही थीं, उसी सभा पर आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली, जिससे दावा स्वतः ही निरस्त हो गया।

बदायूं लंबे समय से समाजवादी पार्टी का गढ़ है, साथ ही धर्मेन्द्र यादव प्रत्येक गाँव में स्वयं गाड़ी चला कर पहुंच सकते हैं, हर गाँव में लोगों को नाम और चेहरे से संबोधित करते हैं, ऐसे हालातों में संघमित्रा मौर्य को हवा में चुनाव लड़ने से बचना होगा। आम जनता से सीधे जुड़ने का कठोर प्रयास करना होगा। विधान सभा क्षेत्र और ब्लॉक मुख्यालयों पर चुनाव कार्यालय खोलने होंगे, जहाँ उन्हें कार्यकर्ताओं से सीधे बात करनी होगी, उनके जुड़ने से ही कार्यकर्ताओं में जोश आयेगा। संघमित्रा मौर्य ग्रामीण क्षेत्र की आम जनता से जितना जुड़ लेंगी, उन्हें उतना ही लाभ मिल जायेगा, उनके पास कम समय है पर, नामुमकिन कुछ भी नहीं होता।

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