बदायूं जिले में भैया जी अपनी विश्वनीय टीम बनाना चाहते हैं, इस प्रक्रिया में भैया जी ने समुद्र मंथन से भी भयानक मंथन कर डाला, उन्हें लगा कि अब सब उनके संकेतों पर कथक नृत्य करेंगे पर, भैया जी भूल गये कि पद और सत्ता का नशा ऐसा होता है, जो सब पर समान मात्रा में ही चढ़ता है। भैया जी ने विध्वंस कर जिसे सरकार बनाया था, वह सरदार भी उन्हीं की जड़ों में मट्ठा डालता नजर आ रहा है लेकिन, भैया जी अब चाह कर भी “आह” नहीं कर सकते, उनकी जड़ों के साथ नया सरदार सिर भी कलम कर दे, फिर भी उन्हें दर्द अंदर छुपा कर “वाह” ही करना पड़ेगा।
चुनाव हारने के बाद कर्मठ और जुझारू कार्यकर्ता हार के गम में दुःख के चलते भूमिगत हो गये, वे शर्म के चलते आम जनता को और भैया जी को मुंह नहीं दिखा पा रहे थे लेकिन, जिनके कारण चुनाव हारे थे, वे एयर कंडीशन कमरों में रहने वाले भैया जी के आस-पास मंडराते रहे, उन्होंने भैया जी के मन में यह बैठा दिया कि जुझारू और कर्मठ कार्यकर्ता ही लापरवाह हैं और उन्हीं के कारण चुनाव हारे हैं, इसीलिए अब आप उन सबको किनारे कीजिये और हमें शक्ति दीजिये, फिर हम आपको चुनाव के बिना ही जिता देंगे।
भैया जी खुशी से झूम उठे और सवाल किया कि चुनाव के बिना कैसे जिता सकते हो?, इस पर बुद्धिमान लोगों ने जवाब दिया कि हम उच्च न्यायालय में यह सिद्ध कर देंगे कि चुनाव अवैध था, मतगणना अवैध थी, इस पर न्यायालय दीदी को अवैध घोषित करते हुए आपको विजयी घोषित कर देगा। राजनीति शास्त्र से ही पोस्ट ग्रेजुएट होने के बावजूद भैया जी मूर्खों के उत्तर से ही झूम उठे। याचिका तैयार की जाने लगी, जिसमें चालाकों का पूरा समूह गवाह बन गया। गवाह बनने के बाद चालाकों की बात मानना भैया जी की मजबूरी हो गई लेकिन, भैया जी ने यह सोचने तक का प्रयास नहीं किया कि चुनाव अवैध घोषित करा भी दिया तो, न्यायालय उन्हें किस कानून के अंतर्गत विजयी घोषित कर देगा? पहले तो चुनाव अवैध घोषित कर पाना ही बहुत टेड़ी खीर माना जाता है। मान लेते हैं कि वे चुनाव अवैध घोषित कराने में सफल हो भी जायें तो, पुनः चुनाव होगा, वे विजयी घोषित कैसे किये जा सकते हैं? इसके अलावा उच्च न्यायालय के बाद उच्चतम न्यायालय भी होता है, वहां भी लड़ना पड़ेगा, इतने भर में ही पांच वर्ष पूर्ण हो जायेंगे।
खैर, चालाक लोगों का उद्देश्य भैया जी का नहीं बल्कि, अपना भला करना है, सो भैया जी से कहा कि अब आप सरदार बदल दीजिये तो, भैया जी ने शातिराना चालें चल कर पुराने सरदार को हटा कर नया सरदार नियुक्त कर दिया। भैया जी को बताया गया था कि नया सरदार उतना ही बोलेगा, जितना भैया जी चाहेंगे।उतना ही चलेगा, जितना भैया जी कहेंगे लेकिन, नया सरदार ऐसा कुछ भी नहीं कर रहा है। नये सरदार ने भैया जी की जड़ों में मट्ठा डालना शुरू कर दिया है। भैया जी के चहेतों को जिला पंचायत सदस्य तक का टिकट नहीं दिया जा रहा है। जो भैया जी का हितैषी दर्शाने का प्रयास करता है, उसे ही कब्र में दफनाया जा रहा है।
दो-चार दिन पहले की बात है। रहमान अंसारी (काल्पनिक नाम) ने दातागंज विधान सभा क्षेत्र के एक वार्ड से पार्टी के टिकट पर जिला पंचायत सदस्य के लिए चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी और प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया, यह खबर सरदार को लगी तो, सरदार ने कह दिया कि पार्टी की ओर से अकील मनिहार (काल्पनिक नाम) लड़ेगा, आप तो पार्टी में ही नहीं हो तो, आपको टिकट कैसे मिल सकता है। सरदार की बात रहमान अंसारी को अखर गई, सो वह भैया जी की कोठी पर गया, वहां बैठ कर कई सारे फोटो लिए और उन्हें सोशल साइट्स पर यह दर्शाने को शेयर कर दिया कि वह पार्टी में ही है और भैया जी का करीबी है, यह बात सरदार को पता चली तो, सरदार ने रहमान अंसारी को फोन लगाया और न सिर्फ जमकर गरियाया बल्कि, थाना बिनावर व थाना मूसाझाग में मुकदमा तक लिखाने की धमकी दे डाली, साथ ही यह भी कहा कि तुम पार्टी में नहीं हो, यह घोषणा कर दूंगा।
सरदार हर उस आदमी के पीछे पड़ा है, जो भैया जी का करीबी होने का दावा करता है, जो भैया जी की कोठी पर नियमित जाता है, यह बातें लोग कह रहे थे तो, उनकी बातों पर कोई विश्वास नहीं कर रहा था। सबको लग रहा था कि सरदार भैया जी का वफादार पालतू है, वह भैया जी के करीबियों से घृणा क्यों करेगा पर, जब ऑडियो वायरल हुआ तो, अन्य लोगों की बातों पर भी लोग विश्वास करने लगे हैं। ऑडियो भैया जी ने भी सुन लिया होगा पर, भैया जी अब चाह कर भी “आह” नहीं भर सकते, उन्हें “वाह” ही कहना पड़ेगा।
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