बदायूं जिले की नगर पालिका परिषद सहसवान में स्थानीय नगर निकाय चुनाव का प्रमुख मुद्दा भष्टाचार का रावण है। भ्रष्टाचार के रावण से सहसवान का प्रत्येक व्यक्ति त्रस्त है, उसकी गुंडई से हर कोई प्रभावित हुआ है, जिससे उसके साथ घूमने को भी कोई तैयार नहीं है। रावण ने एक जनसभा करने का साहस जुटाया, तो गांवों से तीन सौ रूपये प्रति व्यक्ति की मजदूरी देने के बावजूद एक हजार लोगों को मुश्किल से जमा कर पाया। सहसवान की जनता ने भ्रष्टाचार और गुंडई को गंभीरता से लेते हुए चुनाव से पहले ही भ्रष्टाचार के रावण को पूरी तरह नकार दिया है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था में बेहद खुशी की बात कही जायेगी।
सहसवान के लोगों को वोट देते समय विशेष ध्यान रखना होगा कि इस बार ऐसे योग्य व्यक्ति को चुनें, जो उनके लिए कार्य करे, उनके नगर के लिए कार्य करे, उनकी आने वाली पीढ़ी के भविष्य की चिंता करे। अब तक अधिकांश लोग सरकारी धन से अपना एकाउंट भरते रहे हैं, सरकारी धन से अपनी अय्याशी करते रहे हैं, पर इस बार ऐसे लोगों को पूरी तरह नकार दें। प्राचीन नगर होने के बावजूद सहसवान को अपेक्षित सम्मान और अपेक्षित ख्याति इसीलिए नहीं मिल पा रही है कि नगर से प्रेम करने वाला व्यक्ति नहीं चुना गया है, यहाँ के प्राचीन स्मारकों का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त होने के कगार पर है, जो सबके लिए चिंता का विषय होना चाहिए।
वोट देते समय यह भी ध्यान रखें कि इस बार ऐसा व्यक्ति पालिकाध्यक्ष की कुर्सी पर सवार न हो जाये, जो गरीबों के साथ सरकारी जमीनों पर कब्जा करे। गरीब को सताने वालों को कोतवाली की हवालात से निकालने वाला भी वोट देते समय मन में रहना चाहिए। मन में यह भी दृश्य रखें कि सरकारी जमीनों पर खड़े हरे और कीमती पेड़ कौन खा गया, यह भी ध्यान रखें कि आबादी के अनुसार नगर में प्राथमिक विद्यालय तक नहीं हैं, उनके लिए कौन जिम्मेदार है। आपकी खून-पसीने की कमाई के रूपये अय्याशी पर लुटाने वालों का चेहरा भी ध्यान रखें, इस बार अपने, नगर के और अपनी आने वाली पीढ़ी के हित में वोट करें, लोकतंत्र के हित में वोट करें।
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