बदायूं में आबिद रजा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों पर बयान जारी करते हुए में कहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में पाकिस्तान का राग अलापने वालों का पाकिस्तान आखिर हार गया और सेकुलर हिंदू और मुसलमानों का हिंदुस्तान जीत गया। दिल्ली में नफरत हारी, हिंदू-मुस्लिम भाईचारा जीता, एनआरसी व सीएए हारे, दिल्ली की जनता है की भावनायें जीती हैं।
पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा ने कहा कि एनआरसी, एनपीआर और सीएए देश में थोपने वाली भाजपा को झारखंड के बाद दिल्ली की जनता ने नकार दिया है, दिल्ली की जनता ने यह भी बता दिया कि अब बेरोजगार को रोजगार चाहिए, बे-घर को घर चाहिए, किसान को अपनी फसल का वाजिब मूल्य चाहिए, छात्रों को शिक्षा चाहिए व अपना सुरक्षित कैरियर चाहिए, महिलाओं को सुरक्षा चाहिए और जनता को विकास चाहिए। भाजपा लगातार दिल्ली में ही नहीं बल्कि, पूरे देश में छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है, जामिया, जेएनयू, एएमयू व हाल में गार्गी स्कूल में छात्राओं के साथ हुई घटनायें बेहद शर्मनाक हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के चुनाव में भाजपा नेताओं ने अपने भाषण में जिन “शब्दों ” का प्रयोग किया, उसे सेकुलर हिंदू भाईयों ने पूरी तरह से नकार दिया तथा सेकुलर हिंदू भाइयों ने भाजपा नेताओं को यह संदेश दे दिया कि अब हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत पैदा करके कुर्सी पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि, ना-मुमकिन है, इसलिए दिल्ली में भाजपा की नफरत की राजनीति पूरी तरह फेल हो गई।
पूरे देश में जनता की भावनाओं के विपरीत एनआरसी व सीएए लागू करना भाजपा को महंगा पड़ गया। अभी समय रहते सीएए कानून को देश हित में जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए वापस ले लेना चाहिए। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के बाद महाराष्ट्र, झारखंड व अब दिल्ली में जनता ने भाजपा के खिलाफ अपनी गुस्सा व्यक्त कर दिया है।
उन्होंने कहा कि वे एक बार फिर दिल्ली की जनता को मुबारकबाद देते हैं, उन्होंने देश के ऐसे नाजुक हालात में देशहित व हिंदू-मुस्लिम एकता के हित में देश के विकास के लिए व पूरे देश में अच्छा संदेश देने के लिए नफरत की राजनीति के खिलाफ वोट के रूप में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया। इससे पूरे देश में अब एक संदेश गया है कि देश मोहब्बत व प्यार से चलेगा, नफरत से नहीं चलेगा और जो जुमलेबाजी न कर के, काम करेगा, जनता के दुख-दर्द में काम आएगा, वही कुर्सी का हकदार होगा, जनता सिर्फ काम करने वालों को ही मौका देगी। जनता जब ऐसे फैसले करने लगेगी तब, देश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आएगा।
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