बदायूं में राजनैतिक गतिविधियाँ तेजी से इधर-उधर हो रही हैं। अंदर ही अंदर राजनीति की भट्टी धधक रही है, जिसमें से निकलने वाला लावा कुछ न कुछ असर जरूर करेगा। लावा किसे हानि पहुँचायेगा और किसे लाभ, यह आने वाले समय में ही स्पष्ट हो सकेगा। राजनैतिक हालात इतने बदल चुके हैं कि जोशीले यादव युवाओं ने पूर्व मंत्री आबिद रजा से भेंट की, जिसकी जमकर चर्चा की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी के निवर्तमान जिलाध्यक्ष आशीष यादव शेखूपुर विधान सभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं, वे बनवारी सिंह यादव के पुत्र हैं, उनका पैतृक गाँव मानपुर बिसौली विधान सभा क्षेत्र में है, जिससे वे जिले भर में समान रूप से जाने-पहचाने जाते हैं, वहीं नये जिलाध्यक्ष प्रेमपाल सिंह यादव दातागंज विधान सभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं, वे पिछला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे और बुरी तरह हारे थे, उनकी राजनैतिक गतिविधियाँ दातागंज क्षेत्र तक ही सीमित रही हैं, जिससे वे आशीष यादव की तुलना में कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं। सोशल साइट्स पर आशीष यादव के पक्ष में शेयर की गई पोस्ट की भरमार है। तमाम लोगों ने स्तब्ध कर देने वाली बेहद कड़वी पोस्ट शेयर की हैं, जिससे स्पष्ट है कि यादवों में ही खुल कर दो गुट हो गये हैं, जिसका नुकसान समाजवादी पार्टी को होना स्वाभाविक ही है।
हाल-फिलहाल समाजवादी पार्टी में राजनैतिक उथल-पुथल नजर आ रही है। खास कर यादव दो वर्गों में बंटे नजर आ रहे हैं। गुटबाजी अलग ही दौर में पहुंच गई है, इसे समझने के लिए धर्मेन्द्र यादव और आबिद रजा के बीच हुई जंग को याद करना पड़ेगा। धर्मेन्द्र यादव के पक्ष में तमाम जोशीले यादव युवाओं ने आबिद रजा का पुतला फूंका था, उन युवाओं का हृदय परिवर्तन हो गया। बिसौली क्षेत्र के महावीर सिंह यादव, दुष्यंत यादव, चरण सिंह यादव, अरुण कुमार, अवधेश यादव, सोनू यादव, अरविंद यादव, हर्षित यादव, पीयूष यादव और सुमित यादव ने पूर्व मंत्री आबिद रजा के आवास पर आकर न सिर्फ भेंट की बल्कि, पुतला फूंकने वाली घटना पर दुःख प्रकट किया। आबिद रजा ने युवाओं को गले लगाया और उनका उत्साहवर्धन किया, साथ ही शक्ति का सही प्रयोग करने का सुझाव दिया।
जोशीले युवाओं की आबिद रजा से हुई मुलाकात के कई मायने हो सकते हैं। राजनैतिक पंडित अपने तरीके से निष्कर्ष निकाल रहे हैं लेकिन, इतना तय है कि ऐसे युवाओं का समाजवादी पार्टी से मोहभंग होना शुभ संकेत नहीं है, यह युवा समाजवादी पार्टी की ओर लौट कर नहीं आये तो, समाजवादी पार्टी को जमीनी स्तर पर निश्चित ही इतना बड़ा नुकसान होगा, जिसकी कल्पना कर पाना अभी संभव नहीं है।
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