बदायूं जिले की पुलिस लापरवाही, मनमानी और भ्रष्टाचार में नित नये रिकॉर्ड बनाती ही रहती है। आपराधिक वारदातों को रोकने में नाकाम होने पर भी अब कोई विशेष ध्यान नहीं देता। महिलाओं के असुरक्षित होने की बात भी आम हो गई है लेकिन, अब चौंकाने वाली हरकत सामने आई है। पुलिस न्यायाधीश भी बन गई है तभी, जघन्य वारदातों में स्वयं ही फैसले कराने लगी है।
फैजगंज बेहटा थाना क्षेत्र में नाबालिग लड़की के साथ चार दिन पहले यौन उत्पीड़न की सामूहिक वारदात हुई। बताते हैं कि लड़की शाम करीब 4 बजे चारा लेने जंगल में गई थी तभी, उसे पांच लड़कों ने दबोच लिया और बेरहमी से यौन उत्पीड़न कर उसे छोड़ दिया। पीड़िता ने घटना के बारे में बताया तो, परिजनों ने नामजद तहरीर दी लेकिन, पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर पीड़िता को मेडिकल परीक्षण के लिए नहीं भेजा। पीड़िता के परिजनों को कार्रवाई करने का आश्वासन देकर पुलिस लगातार मूर्ख बनाती रही और दबाव बना कर पुलिस ने सामूहिक यौन उत्पीड़न की वारदात में समझौता करा दिया। हालाँकि पुलिस ऐसा कुछ भी होने से स्पष्ट मना कर रही है।
इसी तरह दातागंज कोतवाली क्षेत्र में भी यौन उत्पीड़न की वारदात हुई थी। होली के अवसर पर आये लड़कों ने खेत पर नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न किया था। पुलिस ने तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई नहीं की। बताते हैं कि चार दिन पुरानी वारदात को लेकर आज गाँव में पंचायत बुलाई गई और फैसला सुनाया गया कि आरोपियों में जूते मारे जायें और पैर छूआये जायें। जूते मारने और पीड़िता के पैर छुआने के बाद के बाद आरोपियों को दोष मुक्त करार देते हुए छोड़ दिया गया लेकिन, पंचायत के बारे में पुलिस अनिभिज्ञता जता रही है।
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