बदायूं में गुरूवार को ऐसी वारदात घटित हुई, जिसे देखने और सुनने वालों की ऑंखें भर आईं। दूसरों के दर्द की अनुभूति और निराकरण करने के कारण जो समाज डॉक्टर को भगवान के समकक्ष रखता है, उसी समाज के लोग डॉक्टर की हरकतें देखने के बाद कहते देखे कि यह तो साक्षात् राक्षस है। अमानवीय घटना सबके संज्ञान में पहुंच चुकी है लेकिन, घटना से भी ज्यादा दुःखद बात यह है कि अभी तक जघन्य अपराध के दोषी डॉक्टर और अन्य के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गई है।
थाना हजरतपुर क्षेत्र के गाँव उलैता नगला की रहने वाली आठ माह की गर्भवती गीता को तेज दर्द हुआ तो, पति वेद प्रकाश आशा वर्कर के साथ पहले सीएचसी पर गये पर, उन्हें वहां से भगा दिया गया। पीड़िता को जिला महिला अस्पताल लाया गया, जहाँ उसका त्वरित उपचार करने की जगह डॉक्टर ने कह दिया पुरुष अस्पताल जाकर पहले कोरोना वायरस का सेंपल देकर आओ।
तेज दर्द से तड़प रही आठ माह की गर्भवती महिला पैदल जिला महिला अस्पताल से जिला पुरुष अस्पताल की ओर चल पड़ी। किसी तरह वह पांच सौ कदम चल पाई पर, अंबेडकर पार्क के चौराहे पर आते-आते उसकी हालत और बिगड़ गई, यहाँ से वह एक कदम आगे बढ़ने की भी स्थिति में नहीं रही। साँसें जवाब दे गईं, धड़कन थम गई और फिर वह जमीन पर गिर पड़ी। गर्भवती के धराशाई होते ही पति विलाप करने लगा, भीड़ जमा हो गई, भीड़ की भी ऑंखें नम हो गईं, हर कोई डॉक्टर और स्टाफ की निंदा करने लगा, इस बीच पुलिस को खबर मिल गई तो, पुलिस ने आकर पति की शव उठाने में मदद की। पुलिस की भूमिका सराहनीय रही।
पति और आशा वर्कर का साफ कहना है कि पीड़ित गर्भवती को न सीएचसी पर किसी ने देखा और न ही जिला महिला अस्पताल में किसी ने रूचि ली। घटना पर सीएमओ डॉ. यशपाल सिंह से बात की गई तो, उन्होंने भी टालने वाला ही जवाब दिया। हालांकि वे जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं। सवाल यह है कि तेज दर्द से चीख रही गर्भवती का तत्काल उपचार शुरू क्यों नहीं किया? सवाल यह है कि सेंपल मौके पर ही क्यों नहीं लिया गया? सवाल यह है कि महिला अस्पताल से गर्भवती को एंबुलेस से क्यों नहीं भेजा गया? घटना के बाद ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर से जवाब लेने पत्रकार पहुंचे तो, वह उस समय भी फोन पर गप्प मार रही थी, ऐसी लापरवाह डॉक्टर को तत्काल निलंबित क्यों किया नहीं गया?
उक्त घटना से स्पष्ट है कि संबंधित डॉक्टर इंसान कहलाने लायक नहीं है, ऐसे में वह प्रतिष्ठित पेशे का हिस्सा कैसे रह सकती है, इस महिला डॉक्टर को ऐसा दंड मिलना चाहिए, जो अन्य लापरवाहों के लिए उदाहरण बने और फिर कोई ऐसी लापरवाही करने का दुस्साहस न कर सके। कड़ी कार्रवाई इसलिए भी होना चाहिए कि आम आदमी को भी लगे कि शासन-प्रशासन के लिए उसकी जान की की अहमियत है।
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