बदायूं में भी न्यू ईयर ट्रेंड की तरह सेलिब्रेट किया जा रहा है। युवाओं का झूमना तो समझ आता है, लेकिन जिनके हाथ में मरीज का जीवन कहा जाता है, वे डॉक्टर भी इमरजेंसी वार्ड की ड्यूटी छोड़ कर भाग गये हैं, जिससे अस्पताल और मरीज भगवान के भरोसे ही चल रहे हैं।
कहा जाता है कि कर्म सबसे बड़ी पूजा है, लेकिन आज कल लोग कर्म छोड़ कर पूजा को महत्व देने लगे हैं। धार्मिक प्रकरणों में लोग सवाल उठाना पसंद नहीं करते, लेकिन यहाँ तो न्यू ईयर पार्टी में जाकर मस्ती करने के लिए डॉक्टर इमरजेंसी वार्ड छोड़ गये। कुछ देर पहले अस्पताल में जाकर देखा गया, तो किसी भी वार्ड में डॉक्टर नहीं थे। इमरजेंसी वार्ड में जाकर देखा, तो यहाँ भी सिर्फ सन्नाटा ही पसरा था। सड़क हादसों और आपराधिक वारदातों के शिकार घायल किसी भी समय आ जाते हैं, यह जानते हुए भी डॉक्टर अहम दायित्व छोड़ कर भाग गये।
प्रशासनिक अफसर भी पूरी तरह अनिभिज्ञ हैं, जबकि न्यू ईयर को ध्यान में रखते हुए शीर्ष अफसरों को अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर एक-दो बार छापा मारना चाहिए था। शाम से ही अफसरों ने दबाव बनाया होता, तो अस्पताल और मरीज भगवान भरोसे न होते, ऐसे हालातों में किसी के साथ अनहोनी हो जाये, तो ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों के विरुद्ध आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज हो, क्योंकि डॉक्टर बनाते समय पहला सबक यही सिखाया जाता है कि मरीज के लिए कुछ भी किया जा सकता है और यहाँ तैनात डॉक्टर मस्ती तक छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
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