बदायूं जिले के भ्रष्ट और लापरवाह बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रेम चंद्र यादव से हर कोई त्रस्त है। शिक्षा की स्थिति बेहद घटिया है, वहीं प्रशासनिक प्रकरणों में भी बिना रिश्वत के कुछ नहीं हो पा रहा है। बीएसए की कार्यप्रणाली से तंग आकर भाजयुमो के नगर अध्यक्ष ने सोशल साइट्स के माध्यम से धमकी दी है। नगर अध्यक्ष को धमकाना नहीं चाहिए, पर सवाल यह है कि पीड़ित की शिकायत और समस्या पर कोई ध्यान देने तक को तैयार न हो, तो आत्म हत्या और हत्या करने जैसे विचार आने स्वाभाविक ही हैं।
भारतीय जनता युवा मोर्चा के बिल्सी के नगर अध्यक्ष अजय प्रताप सिंह के पिता श्याम पाल सिंह शिक्षक थे, उनका निधन हो गया, तो अजय के भाई शशांक ने मृत आश्रित के रूप में आवेदन किया। शशांक को क्लर्क का दायित्व मिलना चाहिए, लेकिन रिश्वत न मिलने पर बीएसए ने मनमानी करते हुए शशांक को चतुर्थ श्रेणी का नियुक्ति पत्र दिया। पीड़ित नियुक्ति पत्र लेकर बरातेगदार स्थित सरदार पटेल जूनियर हाई स्कूल में पहुंचा, तो वहां के प्रबंधक ने ज्वाइन नहीं कराया, जिसकी बीएसए से शिकायत की गई, तो उन्होंने प्रबंधक के विरुद्ध अपेक्षित कार्रवाई नहीं की। पीड़ित पक्ष उच्च न्यायालय की शरण में चला गया।
न्यायालय ने चतुर्थ श्रेणी वर्ग में ही नियुक्त करने का आदेश दे दिया, इसके बावजूद प्रबंधक पीड़ित को स्वच्छकार बनाने पर अड़ा हुआ है और बीएसए उसके विरुद्ध कार्रवाई नहीं कर रहे, इस सबसे तंग आकर अजय प्रताप सिंह ने फेसबुक पर लिख दिया कि “बेसिक शिक्षा अधिकारी बदायूं नहीं सुधरे तो अपनी जान से हाथ धो बैठेंगे, अब प्रताड़ना सहन नहीं होती।”, इस पर अब बवाल मच गया है। अजय का अपनी बात कहने का तरीका गलत हो सकता है, धमकी नहीं देना चाहिए, पर सवाल यह है कि रिश्वतखोरों से भरे इस सिस्टम में पीड़ित किसी भी हद तक क्यों नहीं जायेगा। नक्सलवाद इसी भ्रष्ट और लापरवाह सिस्टम से उपजा है, जिससे सबक लेने की जगह सरकार भी मूक दर्शक बनी है और भ्रष्टों व लापरवाहों पर शिकंजा नहीं कस रही है। भाजयुमो के पदाधिकारी की मानसिक स्थिति वहां पहुंच गई है, जहाँ पहुंचना आसान नहीं है, ऐसे में यह भी विचार करना चाहिए कि आम जनता के साथ बीएसए और उनके कर्मचारी क्या कर रहे होंगे।
बीएसए प्रेम चंद्र यादव की कार्यप्रणाली की बात करें, तो जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह जिस स्कूल में जाते हैं, उन्हें वहीं गंभीर अनियमितता मिलती है, शिक्षा का स्तर बेहद घटिया है, जिस पर वे चिंता जता चुके हैं एवं सुधार को लेकर निरंतर निर्देश और चेतावनी दे रहे हैं, इसके अलावा मिड डे मील में घपला किसी से छुपा नहीं है, ड्रेस घोटाले के बारे में भी हर कोई जानता है। जिस विभाग पर नौनिहालों को शिक्षित करने का दायित्व है, वह स्वयं भ्रष्टाचार के दल-दल में गले तक डूबा हुआ है, ऐसा विभाग आदर्श नागरिक नहीं बना सकता।
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