बदायूं में स्थित अपने आवास पर पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा ने गुरुवार को प्रेस वार्ता आयोजित की, जिसमें मेरठ जिले में पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान के नेतृत्व में आयोजित हो चुकी मशवराती काउंसिल ऑफ इंडिया की बैठक में की गई कार्रवाई के संबंध में अवगत कराया गया। बैठक में उत्तर प्रदेश के लगभग 80 विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री, सांसद और पूर्व सांसद सहित अन्य तमाम खास व्यक्ति शामिल रहे। राजनैतिक हालातों को मद्देनजर रखते हुए कई प्रस्ताव मीटिंग में रखे गये, जिसमें 8 प्रस्ताव आजम खान की सहमति व सर्व-सम्मति से अनुमोदित किए गए।
आबिद रजा ने बताया कि मेरठ की बैठक में कहा गया कि हाल ही में 5 राज्यों में हुए विधान सभा के चुनाव और उनका परिणाम इस ओर इशारा करता है कि मुल्क का सेक्युलर ताना-बाना अभी महफूज है, फिरकापरस्त ताकतों की हार ने यह साबित कर दिया है कि भारत के आम नागरिक शांति अमन व भाईचारे में विश्वास रखते है, मशवराती काउंसिल ने इन हालातों पर इत्मीनान जाहिर किया। अगला प्रस्ताव रखा कि विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में सभी सेक्युलर, अर्द्ध सेक्युलर राजनैतिक दल फिरक़ापरस्त ताक़तों के विरुद्ध कार्य करें। तीसरे प्रस्ताव में कहा गया कि हाल ही में सम्पन्न विधान सभा चुनाव में कुछ सेक्युलर, अर्द्ध सेक्युलर दलों ने बड़ी तादाद में प्रत्याशी उतार कर फिरक़ापरस्त ताक़तों को चाहे, अनचाहे तौर पर फायदा पहुँचाने का काम किया है, मशवराती काउंसिल ने इस पर फिक्रमंदी और मायूसी का इजहार किया।
आबिद रजा ने बताया कि चौथे प्रस्ताव में कहा गया कि मौजूदा हालात में कांग्रेस की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह अति उत्साह में कोई ऐसा निर्णय व व्यवहार अन्य सेक्युलर राजनैतिक दलों के साथ न करे, जो भविष्य में फिरक़ापरस्त ताककतों को मजबूत करने का सबब बने। अगर, कुछ चिन्हित दलों को कमजोर करने या, अपमानित करने का इशारा मिला तो, बड़े दलों को उनके द्वारा गुजरे वक़्त में जहाँ-जहाँ अक़्लीयतों को नुकसान पहुंचाया गया है, उन पुराने जख्मों के ताजा हो जाने का अंदेशा है, जिससे उन्हें बडा नुक़सान हो सकता है।
पांचवे प्रस्ताव में कहा गया कि आगामी लोकसभा चुनाव में विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश में सेक्युलर राजनैतिक दल अपने प्रत्याशी घोषित करने से पहले मशवराती काउंसिल से मशवरा कर सकते हैं अन्यथा, किसी भ्रष्ट, चापलूस, चरित्रहीन, साम्प्रदायिक मानसिकता के किसी भी व्यक्ति को यदि टिकट दिया जाता है तो, मशवराती काउंसिल ऐसे प्रत्याशी का विरोध करने के लिए मजबूर होगी।
छठे प्रस्ताव में कहा गया कि समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव तथा अन्य दलों के शीर्ष नेता किसी भी सीट से चुनाव लड़ते है तो, मशवराती काउंसिल उनका समर्थन करेगी, इसके अतिरिक्त किसी भी क्षेत्र में दल-बदलू व बाहरी व्यक्ति को टिकट न दे कर स्थानीय व साफ-सुथरी छवि के ही व्यक्ति को टिकट दिया जाए।
सातवें प्रस्ताव में कहा गया कि वंचितों, शोषितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के बीच मे सामंजस्य व ताल-मेल बनाया जाए, काउंसिल के सभी मेम्बरान इसको अपने क्षेत्रों में लागू करना सुनिशिचत करें। आठवें प्रस्ताव में काउंसिल की अगली बैठक 6 जनवरी 2019 को तय की गई, जो अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष शकील अहमद के वाराणसी स्थित आवास पर आयोजित की जायेगी।
मशवराती काउंसिल की बैठक की कार्रवाई के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करने के बाद आबिद रजा ने कहा कि देश को आजाद हुए लगभग 70 साल हो चुके हैं लेकिन, सन 1980 के बाद से बदायूं जिले की बदकिस्मती ही कही जायेगी कि 40 साल से बदायूं के सांसद बाहरी लोग (परदेसी) ही बन रहे हैं, जो प्यार और जज्बा अपने वतन वाले को बदायूं वालों से होगा, वह बाहरी लोगों को हो ही नहीं सकता। परदेसी लोग फर्जी प्यार दिखा कर वोट को ठग रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और डिंपल यादव सपा के शीर्ष नेता हैं, यह कहीं से भी चुनाव लड़ सकते हैं, इनके अलावा किसी भी परदेसी को 2019 के लोकसभा के चुनाव में बदायूं से पार्टी का टिकट न दिया जाए वरना, बदायूं के हिंदू, मुसलमान, किसान, गरीब, बेरोजगार और मजलूमों के साथ आम जनता ने यह फैसला कर लिया है कि 2019 का बदायूं लोकसभा चुनाव देसी बनाम परदेसी के बीच होगा, क्योंकि आजाद मुल्क में 40 सालों से परदेसियों ने बदायूं को गुलाम बना रखा है, अब हिंदू और मुसलमान दोनों मिलकर 2019 के लोकसभा चुनाव में बदायूं को परदेसियों से राजनैतिक रूप से आजाद करायेंगे।
(गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)