बदायूं में स्वास्थ्य विभाग की कार्य प्रणाली देख कर लोग कहने लगे हैं कि यह विभाग सिर्फ घोटाले करने को ही बनाया गया है। टॉर्च घोटाले को अभी प्रशासनिक अफसरों ने संज्ञान में भी नहीं लिया है, वहीं एक और घोटाले को अंजाम देने की तैयारी शुरू हो गई है। चहेती फर्म को ठेका देने के उद्देश्य से नियम और शर्तों में बदलाव कर टेंडर की तिथि भी आगे बढ़ा दी गई है।
भ्रष्टाचार रोकने के उद्देश्य से सरकार पारदर्शी व्यवस्था बनाने का प्रयास कर रही है, जिसके अंतर्गत ई-गवर्नेंस को निरंतर बढ़ावा दिया जा रहा है। भ्रष्टाचार और माफियाराज खत्म करने के उद्देश्य से सरकार ने ई-टेंडरिंग की व्यवस्था की है। विभागों ने ई-टेंडर शुरू तो कर दिए हैं, लेकिन उसमें भी जमकर मनमानी की जा रही है। विभाध्यक्ष मनमानी करते हुए टेंडर चयन कर रहे हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत टेंडर जारी किया गया, जिसमें फर्मों से टेंडर आमंत्रित किये गये। टेंडर जमा करने की अंतिम तिथि 28 दिसंबर दोपहर 3 बजे तक थी, इससे पहले 27 दिसंबर को टेंडर के नियम और शर्तों में परिवर्तन कर तिथि आगे बढ़ा दी गई।
बताते हैं कि तीन वर्ष का अनुभव होने की महत्वपूर्ण शर्त थी, जिसे पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है एवं टर्नओवर की शर्त में भी संशोधन किया गया है। अब टेंडर जमा करने की अंतिम तिथि 3 जनवरी कर दी गई है, जो 4 जनवरी को खोले जायेंगे। सूत्रों का कहना है कि नियम और शर्तों में परिवर्तन चहेती फर्म को टेंडर देने के लिए गया है। 3 वर्ष का अनुभव होने की शर्त के कारण सीएमओ की चहेती फर्म टेंडर डालने में असमर्थ साबित हो रही थी, इस सबसे स्पष्ट है कि चहेती फर्म को ठेका देकर सरकारी धन हजम करने की तैयारी चल रही है।
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