बदायूं क्लब में प्रख्यात कवि डॉ. उर्मिलेश की 18वीं पुण्यतिथि पर डॉ. उर्मिलेश जन-चेतना समिति द्वारा अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। कवि सम्मेलन का 4 बजे समापन हुआ। देश के प्रख्यात कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को अंत तक बांधे रखा। समारोह में प्रख्यात हास्य कवि पद्मश्री सुरेन्द्र शर्मा को काव्य शिखर सम्मान, मुमताज नसीम को गजल सम्मान, अशोक चारण को ओजस्वी स्वर सम्मान एवं डॉ. अखिलेश मिश्रा को गीत श्री सम्मान से सम्मानित किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि विधायक महेश चंद्र गुप्ता, भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता, पूर्व विधायक प्रेमस्वरुप पाठक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. ओ. पी. सिंह रहे। अतिथियों का समिति के द्वारा प्रतीक चिन्ह देकर एवं माला पहनाकर स्वागत किया गया। मॉं सरस्वती के समक्ष दीप प्रजव्वलन कर समारोह का शुभारंभ किया गया, इसके प्रख्यात कवि पद्मश्री सुरेन्द्र शर्मा ने अपने काव्य पाठ में अनेक रचनायें पढ़ीं, उन्होंने कहा कि ऊ पत्नी जी, जै मै ऊ युग मैं, महाराणा परताप होत्तो तो कि होत्तो, वा बोल्ली- महाराणा परताप को घोड़ो चेतक खुद मरणे की जगा थारा ही पराण ले लेत्तो।
केकड़ी राजस्थान से आये ओज कवि अशोक चारण ने अपने ओजपूर्ण वाणाी से पूरे माहौल में रंग जमा दिया, उन्होंने कहा ये जहरीला घूंट कसम से हंसकर के पी जाऊँगा, मेरी मौत को मिले तिरंगा मरकर भी जी जाऊँगा। प्रख्यात गीतकार डॉ. विष्णु सक्सेना ने श्रोताओं की मांग पर एक से बढ़ कर कर एक गीत प्रस्तुत कर समां बांध दिया, उन्होंने कहा, तन और मन हैं पास बहुत पर सोच, सोच में क्यों दूरी है, हम बदलें तो कहा बेवफा, वो बदलें तो मजबूरी है।
अलीगढ़ की शायरा मुमताज नसीम ने कहा, आज इकरार कर लिया हमने, खुद को बीमार कर लिया हमने, अब तो लगता है जान जायेगी, तुमसे जो प्यार कर लिया हमने। कार्यक्रम का सफल संचालन कर रहे प्रख्यात हास्य व्यंग कवि सर्वेश ने कहा, रिश्तों में तकरार बहुत है, फिर भी इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को बस अपना परिवार बहुत है। कानपुर से आये कवि हेमंत पांडेय ने श्रोताओं को हंसने के लिये मजबूर कर दिया, उन्होंने कहा, एक-एक प्रेमी को बांटकर ले गये, जो नहीं माना उसे
डांटकर ले गये, जिस पेड़ पे बांधा था मोहब्बत का धागा, नगर निगम वाले उसे भी काटकर ले गये।
शायर कमल हातवी ने कहा, मोहब्बत ज़ख्म है मरहम नहीं है मगर मरहम से कोई कम नहीं है, तुम्हीं से तो नहीं था इश्क मुझको, तुम्हारा ही तो मुझको गम नहीं है। गीतकार एवं आईएएस अधिकारी डॉ. अखिलेश मिश्रा ने अपनी संजीदा गजलों और गीतों से मानवीय संवेदनाओं पर कविता पाठ करते हुये कहा, अब अदालत में खड़ी मूरत रुआंसी हो रही है, अब कहां इस मुल्क में कातिल को फांसी हो रही है।
चंदौसी से आये युवा शायर चराग शर्मा ने शेर पढ़ते हुये कहा, तुम्हारा क्या है तुम्हें सिर्फ ज्ञान देना है, हमारी सोचो हमें इम्तिहान देना है, उन्होंने अपने मुताबिक सजा सुना दी है, हमें सजा के मुताबिक बयान देना है। बनारस से आमंत्रित कवियत्री अंकिता नादान ने कहा, जाने कैसी ये प्यास कैसी ये अगन जगी है, इक नदी को समंदर की लगन लगी है।
कार्यक्रम में श्रोताओं की मांग पर डॉ. सोनरुपा विशाल ने डॉ. उर्मिलेश की प्रमुख गजल लड़कियां-लड़कियां गाकर माहौल को अलग बना दिया, वहीं कार्यक्रम के अंत में डॉ. अक्षत अशेष ने श्रोताओं की तालियों के साथ प्रमुख गीत गायेंगे-गायेंगे हम वन्देमातरम् गाकर पूरे पांडाल को गुंजायेमान कर दिया। आयोजन में डॉ. इसहाक तबीब की पुस्तक का विमोचन भी किया गया, इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के विभाग प्रचारक विशाल दीक्षित, एएसपी सिटी अमित किशोर श्रीवास्तव, नगर मजिस्ट्रेट ब्रजेश सिंह, कृषि अधिकारी देवेश सिंह, सिद्धपीठ बाला जी दरबार के महंत मटरुमल शर्मा, समिति की अध्यक्षा मंजुल शंखधार, डॉ. उपदेश शंखधार, विशाल रस्तोगी, रिचा अशेष, भाजपा महामंत्री शारदेंदु पाठक सहित तमाम गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
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