बदायूं जिले में पुलिस दबंगों के आगे नतमस्तक और आम जनता पर हावी नजर आ रही है। दबंग लॉक डाउन का पालन नहीं कर रहे हैं, जमकर मनमानी कर रहे हैं, बवाल भी कराना चाह रहे हैं पर, पुलिस दबंगों पर कड़ी कार्रवाई नहीं कर रही है लेकिन, आम जनता पर जमकर न सिर्फ लाठी चला रही है बल्कि, जेल भी भेज रही है।
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बताते हैं कि सिविल लाइन थाना क्षेत्र में भ्रमण करते हुए मोहल्ला नई सराय से बीती रात महिला थानाध्यक्ष गुजर रही थीं तभी, उन्हें एक किराना की दुकान में भीड़ दिखाई दी, उन्होंने लोगों से घर जाने को कहा तो, दर्जन भर लोग पुलिस पर ही हावी हो गये। घबराई नजर आ रही महिला थानाध्यक्ष किसी तरह वहां से निकल गईं। बाद में सिविल लाइन थाना पुलिस आई, उस समय भी तमाम लोग सड़क पर ही थे लेकिन, पुलिस कुछ कहे बिना ही चली गई। दबंगों पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
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दूसरी वारदात उघैती थाना क्षेत्र के गाँव करनपुर की है, यहाँ एक मंदिर में देर रात गेरुआ वस्त्र पहन कर एक असामाजिक तत्व घुस गया, वह कुछ कर पाता, उससे पहले लोगों ने उसे देख लिया और मंदिर में ही बंद कर लोगों ने पुलिस बुला ली लेकिन, पुलिस ने अभी तक मुकदमा दर्ज कर जेल नहीं भेजा है।
बताते हैं कि कस्बा फैजगंज बेहटा का निवासी खुर्शीद मंदिरों में घुस कर मूर्तियाँ खंडित करने का आदी है, इससे पहले 25-26 मार्च की रात में खुर्शीद ने फैजगंज बेहटा में ही धृष्टता की थी। एसडीएम और सीओ ने मौका मुआयना किया था, इसके बावजूद खुर्शीद के विरुद्ध गंभीर धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई नहीं की गई। पुलिस की लापरवाही के चलते खुर्शीद किसी दिन बड़ा बवाल करा सकता है।
यह भी बता दें कि दबंगों और असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई न करने वाली पुलिस आम जनता पर जमकर भड़ास निकालती नजर आ रही है। पिछले दिनों मूसाझाग थाना क्षेत्र के गाँव उतरना निवासी किसान सत्यपाल घर में बवाल किया था, जिससे किसान, उसका बेटा और बेटियां घायल हो गई थीं। गाँव मचलई निवासी निवासी सलाउद्दीन ने भी उत्पीड़न का आरोप लगाया था। कस्बा उझानी में दवा लेने आये और गैस सिलेंडर लेने जा रहे युवकों के हाथ तोड़ दिए थे।
पुलिस गाँव के भोले-भाले युवाओं को लॉक डाउन का पालन न करने के आरोप में लगभग रोज ही जेल भेज रही है पर, शहर के कुबूलपुरा, सोधा, जालंधरी सराय, नई सराय में हथियार डाले हुए है। कस्बा वजीरगंज और हॉट स्पॉट के रूप में चिन्हित सहसवान में भी पुलिस कुछ नहीं कर पा रही है, साथ ही सरकारी ड्यूटी करने वाले नगर निकाय के कर्मियों, स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों और कोटेदारों का शोषण खुलेआम कर रही है। जहाँ सख्ती करने की सर्वाधिक जरूरत है, वहां पुलिस झाँकने भी नहीं जा रही है, जिससे लॉक डाउन का पालन नहीं हो पा रहा है।
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