ठगों से सावधान, सोने-चांदी के गहने खरीदते समय नंबरों का रखें विशेष ध्यान

ठगों से सावधान, सोने-चांदी के गहने खरीदते समय नंबरों का रखें विशेष ध्यान

नये खरीदारों के सामने यह प्रश्न रहता है कि सोना कहां से खरीदें? अधिकांश लोग पारंपरिक दुकानों से सोना खरीदते हैं, क्योंकि उनके माता-पिता भी यहीं से खरीदते थे। शहर के सर्राफा बाजार में स्थित आरके ज्वैलर्स ने बहुत ही कम समय में अपनी अलग पहचान बना ली है। शुद्धता और हॉल मार्किंग के आभूषणों के चलते ग्राहकों के बीच आरके ज्वेलर्स पहली पसंद बनता जा रहा है।

आरके ज्वैलर्स के स्वामी प्रशांत रस्तोगी ने बताया कि उन्होंने व्यापार को शुरू करने से पहले ही यह प्रण कर लिया था कि वे ग्राहकों के साथ धोखा नहीं करेंगे। शुद्धता और हॉल मार्किंग आभूषणों के साथ ही ग्राहकों को अपने साथ जोड़ेंगे, जिसका नतीजा यह हुआ कि आज बदायूं के सरार्फा बाजार में उनकी एक अलग पहचान बन गई है। वे बताते हैं कि पुराने ग्राहकों के साथ ही कई ऐसे ग्राहक भी उनके साथ जुड़ चुके हैं, जो अभी तक बाजार के चुनिंदा बड़े शोरूम से खरीददारी करते आ रहे थे। उनकी संतुष्टि और विश्वसनीयता को बनाए रखना ही अब उनका लक्ष्य है। उन्होंने लोगों को सोने-चांदी के आभूषणों की खरीददारी से पहले ध्यान रखने वाली बातों को भी साझा किया।

सिक्के, बिस्कुट ज्यादा बेहतर ऑप्शन हो सकते हैं, सोना खरीदते समय उसकी शुद्धता व कैरेट को जानने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें।

ऐसे करें शुद्धता की पहचान: सोने की शुद्धता का आंकलन कैरेट से किया जाता है। 24 कैरेट का सोना सबसे ज्यादा शुद्ध माना जाता है, जिसमें 24/24 भाग सोना होता है। इसी तरह 22 कैरेट में 22 भाग सोना तथा 2 भाग अन्य धातुओं का होता है, जैसे कि जस्ता या, चांदी। इसी तरह 18 तथा 14 कैरेट में भी होता है। आम तौर पर 22 कैरेट सोने के आभूषण बनाए जाते हैं, जिसमें 91.66 फीसदी सोना होता है। अगर, कोई ज्वेलर आपको 24 कैरेट गोल्ड के गहने देने का दावा कर रहा है तो, समझ लें कि वो फर्जी है, क्योंकि 24 कैरट सबसे शुद्ध सोना होता है और इसमें गहने नहीं बनते। यदि शुद्ध सोने का गहना बनाया तो, वह जल्दी टूट जायेगा। इसलिए सोने को टिकाऊ बनाए रखने के लिए आभूषण बनाते समय यह मिलावट करना आवश्यक होती है। हर कैरेट के सोने के लिए हॉल मार्क नंबर अंकित किए जाते हैं, इससे शुद्धता में शक नहीं रहता। जैसे कि 22 कैरेट के लिए 916 नंबर, 18 कैरेट के लिए 750 नंबर और 14 कैरेट के लिए 585 नंबर अंकित रहते हैं।

उपभोक्ताओं को सोना खरीदते समय धोखा न हो, इसके लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की स्थापना की गई। बीआईएस सोने-चांदी के सिक्कों और आभूषणों की शुद्धता प्रमाणित कर उस पर चिह्न अंकित करते हैं, जिसे हॉल मार्क कहते हैं। हॉल मार्क पर पांच अंक होते हैं। सभी कैरेट का हॉल मार्क अलग होता। गहनों पर हॉल मार्क होने का मतलब है, उसकी शुद्धता प्रमाणित है। हॉल मार्क सरकारी गारंटी है। कई ज्वैलर्स बिना जांच प्रकिया किए हॉल मार्क लगा देते हैं। हॉल मार्क का फायदा यह भी है कि जब आप सोना बेचने जायेंगे या, रिप्लेस करने जायेंगे तो, इसमें से डिप्रेसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जायेगी।

असली हॉलमार्क पर बीआईएस का तिकोना निशान होता है। उस पर हॉल मार्किंग सेंटर के लोगो के साथ ही सोने की शुद्धता भी लिखी होती है। उसी में ज्वेलरी निर्माण का वर्ष और उत्पादक कौन है, इसका लोगो भी होता है। इस प्रमाण- पत्र में कैरेट जरूर चेक कर लें। इसी के साथ गोल्ड में लगे नगीने (स्टोन) के लिए भी एक अलग सर्टिफिकेट लें, इससे ठगे जाने की गुंजाइश कम हो जायेगी।

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