बदायूं जिले में भारतीय जनता पार्टी के छः में से पांच विधायक थे। भारतीय जनता पार्टी पर पिछला परिणाम दोहराने का दबाव था लेकिन, चुनाव में भाजपा का जिला स्तरीय संगठन लापरवाही बरतता हुआ दिखाई दिया। भाजपा के प्रत्याशी, उनके परिजन, मंडल और बूथ स्तर के कार्यकर्ता ही सक्रिय दिखाई दिये। भाजपा के प्रत्याशी चुनाव में पिछड़े तो, जिला स्तरीय संगठन को ही जिम्मेदार माना जायेगा।
जिले के भाजपा विधायकों के कार्य और व्यवहार से आम जनता, पदाधिकारी और आम कार्यकर्ता रुष्ट थे। अधिकांश लोग विधायकों के टिकट काटने के पक्ष में थे। माना भी जा रहा था कि कई विधायकों के टिकट कटेंगे पर, स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा छोड़ कर सपा ज्वाइन कर ली तो, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने टिकट नहीं काटे। विधायकों को ही टिकट मिलने के बाद आम कार्यकर्ता बे-मन से चुनाव लड़ाने लगा लेकिन, असंतुष्ट लोग घर पर ही बैठे रहे, उन्हें मनाने का दायित्व जिला स्तरीय पदाधिकारियों और नेताओं का था पर, अधिकांश नेताओं ने चुनाव लड़ाया कम, दिखाया ज्यादा। जिलाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता भी जमीन पर कम, फेसबुक पर ज्यादा दिखाई दिए। जिलाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता बहुत रूचि नहीं ले रहे थे, इसीलिए अन्य पदाधिकारी भी ढोल ही बजाते दिखाई दिए।
जिला स्तरीय टीम में भाजपा महामंत्री पंडित शारदाकांत “सीकू भैया” और मीडिया प्रभारी आशीष शाक्य ही जमीनी स्तर पर कार्य करते दिखाई दिए। कुछेक पदाधिकारी जिले के बाहर विधान सभा क्षेत्रों में प्रभारी बना दिए थे, वे वहां मेहनत कर रहे थे। स्थानीय स्तर पर मूल विधान सभा क्षेत्र को छोड़ कर जिला स्तरीय नेता अन्य विधान सभा क्षेत्र में जाकर प्रचार कर रहे थे। अधिकाँश नेताओं ने जिस विधान सभा क्षेत्र के रहने वाले हैं, वहां चुनाव लड़ाने में कोई रूचि नहीं ली।
एमएलसी चुनाव की घोषणा होते ही कई नेता अचानक से सक्रिय हुए। जिलाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता की पत्नी शुभ्रा गुप्ता तक चुनाव प्रचार में कूद गईं। दातागंज विधान सभा क्षेत्र की रहने वाली हैं, उसे लांघ कर वे सहसवान विधान सभा क्षेत्र में प्रचार करती हुई दिखाई दीं लेकिन, एमएलसी चुनाव की तिथि आगे बढ़ते ही वे प्रचार अभियान से गायब हो गईं। संपूर्ण प्रचार अभियान प्रत्याशियों ने अपने बल पर संभाला, उनके परिजन और निजी टीम के साथ मंडल और बूथ स्तर के पदाधिकारी ही मेहनत करते हुए दिखाई दिए, जिससे प्रत्याशी जूझते हुए दिखाई दिए।
इस चुनाव में सर्वाधिक सक्रिय भूमिका केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा की रही, वे स्टार प्रचारक हैं, इसके बावजूद उन्होंने प्रोटोकॉल को किनारे रख कर जिले को बहुत समय दिया। सभी जनसभाओं में रहे, उन्होंने स्वयं भी कई जनसभाओं और नुक्कड़ सभाओं को संबोधित किया, साथ ही अपने आवास पर प्रतिदिन शाम को अलग-अलग क्षेत्रों के गणमान्य नागरिकों को बुला कर भाजपा प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाने को प्रेरित करते थे, उनके प्रयासों के चलते बिल्सी क्षेत्र के लिए नये प्रत्याशी हरीश शाक्य मजबूत भूमिका में आ गये।
इसके अलावा सांसद डॉ. संघमित्रा मौर्य ने जिले भर में कड़ी मेहनत की, उन्होंने सभी प्रत्याशियों के पक्ष में गाँव-गाँव जाकर मतदाताओं को समझाया। रविवार को वे पुनः आ गईं और पुनः जुट गईं। सोमवार को मतदान शुरू होने से पहले उन्होंने दौरे शुरू कर दिए। सदर, बिल्सी, सहसवान, गुन्नौर और बिसौली क्षेत्र में तूफानी दौरे करते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं का दिन भर मनोबल बढ़ाया, इसी तरह जिलाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता ने भी रूचि ली होती तो, मतगणना होने से पहले ही परिणाम आम जनता को पता होते। लापरवाही का इससे बड़ा साक्ष्य और क्या होगा कि मतदान समाप्त होने से आज भाजपा के जिला कार्यालय पर ताला लग गया, जबकि आज देर रात तक कार्यालय खुलना चाहिए था।
मतदान के बाद चर्चा करने हेतु जिले भर से तमाम कार्यकर्ता और समर्थक भाजपा कार्यालय पहुंचे तो, वहां ताला लटकता देख मायूस हो गये और फिर वापस चले गये। भाजपा कार्यालय पर पसरे सन्नाटे के कारण भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया है। जिला स्तरीय पदाधिकारियों के कार्यालय से गायब होने के कारण भाजपा समर्थक भाजपा प्रत्याशियों की जीत के दावे तक नहीं कर रहे हैं।
लापरवाही का आलम यह रहा है कि वजीरगंज में मुख्यमंत्री की जनसभा के मंच पर एक प्रत्याशी और एक नेता के बीच तू-तू, मैं-मैं तक हो गई थी पर, जिलाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता ने दोनों के बीच सुलह कराने में कोई रूचि नहीं ली, इसी तरह एक थाना प्रभारी मतदाताओं को धमका रहा था पर, जिलाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता ने उसकी ऑडियो वायरल होने के बावजूद अफसरों से कार्रवाई कराने को लेकर बात तक नहीं की, इसीलिए भाजपा प्रत्याशी चुनावी जंग में फंसे दिखाई दे रहे हैं।
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