बदायूं विधान सभा क्षेत्र के ग्रामीण अल्पसंख्यकों का सम्मेलन आयोजित किया गया। धर्म गुरुओं के साथ लगभग 128 गांवों के मुस्लिम समाज के लोगों ने सम्मेलन में भाग लिया। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए पूर्व मंत्री आबिद रजा ने कहा कि आजम खान की सिफारिश मानी गई तो, उनका ही टिकट होगा। उन्होंने कहा कि अभी भले ही गर्दिश के दिन चल रहे हों पर, आजम खान समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं, टिकट देना उनका हक है और उन्हें लगता है कि आजम खान उन्हें टिकट देंगे, इसलिए वे समाजवादी पार्टी से ही चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर, समाजवादी पार्टी से उनका टिकट नहीं हुआ तो, अगले लोकसभा चुनाव की नींव विधान सभा चुनाव में ही रख दी जायेगी।
आबिद रजा ने कहा कि हम हमेशा तुम्हारी मजबूत आवाज बनते हैं। तुम्हारे साथ जब-जब ना-इंसाफी होती है, हम अपने नुकसान की परवाह नहीं करते, तुम्हारे हक की लड़ाई जरूर लड़ते हैं, इसलिए हमारे सियासी दुश्मन भी बड़े हैं, अब जब हमारे सियासी दुश्मन तुम्हारी हिमायत की वजह से बड़े बन ही गए हैं तो, हमने अपना सिफारशी भी बड़ा बना लिया है, हमने अपना वकील अपना सिफारशी, अपना जज सिर्फ अल्लाह ताला को बना लिया है। अब अल्लाह ही इंसाफ करेगा, क्योंकि भाजपा हमें हराना चाहती है और कुछ लोग साजिश करके हमें कमजोर करना चाहते हैं, जिले में मुसलमानों की सियासत को खत्म करना चाहते हैं, हमारे खिलाफ मुसलमान प्रत्याशियों की फौज बनाई जाती है, जो आज तक प्रधानी और मेम्बरी भी नहीं जीते, उन्हें हमारे खिलाफ साजिश करके इकट्ठा किया जाता है। कुछ मुसलमान भाजपा के इशारे पर तुमको बहकाने आयेंगे, उन्हें पहचान लेना, उन्हें चुनाव में सही जवाब देना।
उन्होंने कहा कि हमारा सिर्फ कसूर यह है कि हम आपकी मजबूत आवाज बनते हैं, याद रखना अगर, हम कमजोर हो गए तो, अगर हम विधायक बन भी गए, फिर भी तुम्हारे काम के नहीं बचेंगे, याद रखना मुसलमानों चिराग लेकर भी ढूंढोगे तो, तुमको आबिद रजा जैसा नेता नहीं मिलेगा। आगे कहा कि आज हमें खुशी है कि हमारे साथ हिंदू भाई बड़े स्तर पर जुड़ रहे हैं और हमारे चुनावी साथी बनने को तैयार हैं।
आबिद रजा ने कहा कि समाजवादी पार्टी के टिकट पर चेयरमैनी और विधायकी दोनों सीटें सपा को हमने ही जीत कर दी थीं। आजम खान के साथ हम 2009 में सपा में शामिल हुए थे। आजम खान से हमारा राजनैतिक रिश्ता नहीं बल्कि, दिल का रिश्ता है, आजम खान जब से जेल गए तब से हमने उनका साथ नहीं छोड़ा, लोग दिखावा कितना ही कर लें, आजम खान अच्छी तरह जानते हैं कि बदायूं में उनका सच्चा हमदर्द कौन है, आजम खान के कहने पर ही हम सियासी रास्ता नहीं बदल रहे हैं। अगर, आजम खान की चलेगी तो, टिकट हमारा ही होगा। हां, अगर लोगों ने आजम खान की बात खराब की या, उनकी सिफारिश नहीं मानी गई तब मुसलमानों तुम परेशान मत होना, अल्लाह एक रास्ता बंद करता है तब, हजार रास्ते खोलता है। आखिर में आबिद रजा ने कहा मुसलमानों तुम हमें हमेशा वोट देते हो मगर, जब हम तुम्हारी लड़ाई लड़ते हैं, तुम्हारे सम्मान के लिए लड़ते हैं, अगर तुम उन मुद्दों पर हमारे साथ खड़े होना शुरू हो जाओ तब, हर सरकार में आबिद रजा तुम्हारा कोई काम नहीं रुकने देगा।
अंत में मुसलमानों से वादा लिया कि तुम लोग हिंदू भाईयों को अपने साथ जोड़ो। भाजपा सरकार में मुसलमानों के साथ-साथ हिंदू भाई भी बहुत परेशान हैं, इसलिए आसानी से हिंदू भाई आपकी बात मान कर हमारा चुनाव लड़ाने को राजी हो जायेंगे, लोग हमारे खिलाफ बयान देते हैं, हमारे खिलाफ तरह-तरह के इल्जाम लगाते हैं, हम उनकी हर बात का जवाब दे सकते हैं लेकिन, इस बार हमने फैसला किया है कि ऐसे लोगों को इंशा अल्लाह वक्त जवाब देगा। अल्लाह ने बड़े-बड़े राजाओं का अहंकार नहीं रखा, ऐसे लोगों को अल्लाह के हवाले छोड़ दिया है। इंशा अल्लाह अल्लाह हमारे साथ इंसाफ करेगा।
यादव, ठाकुर, कुर्मी, लोधी, पाली, कश्यप मौर्य सम्मेलन में आये लोगों ने हमसे चुनाव लड़ाने का वादा किया है, हिंदू-मुस्लिम समाज का लगातार हमें समर्थन मिल रहा है, हमें उम्मीद है कि चुनाव नजदीक आने तक हिंदू समाज हमारे साथ और जुड़ जायेगा। इंशा अल्लाह अगर ऐसा ही समर्थन मिलता रहा तब, 2022 के चुनाव में आप अपने आबिद रजा को ऐतिहासिक वोटों से जितायेंगे।
इससे पहले मुस्लिम समाज के धर्मगुरुओं ने पूर्व मंत्री आबिद रजा को 2022 के चुनाव में जीत की कामना के साथ पगड़ी बांधी। धर्म गुरुओं ने कहा कि आबिद रजा विधायक बनने के बाद हिंदू-मुसलमान के सभी जायज काम करें, आबिद रजा ने चेयरमैन व विधायक रहते हुए सभी मजहब के इलाके में विकास कराये। अगर, आबिद रजा ने मस्जिद के पास की सड़कें बनवाईं तो, मंदिर, गुरुद्वारे एवं गिरजाघर के आस-पास की सड़कें भी बनवाईं, यही बात आबिद रजा को और नेताओं से अलग करती है।
मौलाना अफलाक रजा ने कहा पूरे बदायूं जिले में आबिद रजा एक मात्र मुस्लिम नेता हैं, जो मुसलमानों के हक की आवाज उठाते हैं, बाकी नेता अपनी-अपनी पार्टी का रुख देखकर मुसलमानों की मजबूत आवाज न बनकर दिखावा ज्यादा करते हैं। मुसलमानों को केवल अच्छी-अच्छी बातों से बहकाने का काम करते हैं लेकिन, आबिद रजा जब भी मुसलमानों पर ना-इंसाफी होती है, उनके लिए मजबूती से खड़े हो जाते हैं। आबिद रजा मुसलमानों की हिमायत करते वक्त यह नहीं देखते हैं कि वह किस पार्टी में हैं, चाहे पार्टी के बड़े नेता उनसे नाराज हो जायें। हमें ऐसा ही बहादुर नेता चाहिए, मुसलमानों की हिमायत करने से उनका सियासी और आर्थिक नुकसान भी बहुत होता है लेकिन, आबिद रजा इसकी भी परवाह नहीं करते, सियासी पार्टियां मुसलमान का वोट हासिल करने के लिए दिखावा ज्यादा करती हैं लेकिन, मुसलमानों का हकीकत में भला नहीं करतीं। सियासी पार्टियों का मुसलमानों के प्रति दिखावे व हकीकत में बहुत फर्क है।
मौलाना शमीम हुसैन कादरी ने कहा आबिद रजा को पूरे जिले का नहीं बल्कि, पूरे मंडल का मुसलमान उनके इस तेजतर्रार छवि व मजबूत नेता होने की वजह से बेहद पसंद करता है, इसलिए आबिद रजा जिस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे, उसी पार्टी को पूरे जिले का मुसलमान वोट देगा। आबिद रजा बदायूं विधान सभा क्षेत्र से जिस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे, मुसलमान उसी पार्टी को वोट देगा, क्योंकि मुसलमान बदायूं में सिर्फ आबिद रजा को जानता है, इसलिए पूरे जिले का मुसलमान चाहता है कि आबिद रजा हमारे विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ें लेकिन, हमारी ख्वाइश यह है कि आबिद रजा बदायूं विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ें, क्योंकि उन्होंने चेयरमैन रहते और विधायक रहते समय जितना विकास बदायूं में कराया है, उतना विकास कोई विधायक नहीं करा सकता।
मौलाना असलम ने कहा आबिद रजा के काम करने के तरीके को देखकर आबिद रजा को हिंदू समाज, सिख समाज, ईसाई समाज के लोग भी पसंद करते हैं, वह सिर्फ मुसलमानों के नेता नहीं बल्कि, वह सर्व समाज के नेता हैं, आबिद रजा जब विधायक, मंत्री थे तब, उनके वक्त में किसी गरीब को कोई परेशानी नहीं थी, चाहे वह किसी भी मजहब का क्यों न हो, अधिकारी निरंकुश नहीं थे। सारे विभाग के अधिकारी आबिद रजा से बहुत डरते थे। हर मजहब के मध्यम वर्गीय, गरीब वर्ग के लोगों को बेवजह पुलिस परेशान नहीं करती थी। सरकारी विभागों में आबिद रजा का बहुत रुतबा होता था, इसी वजह से जनता सुकून में रहती थी। आबिद रजा का रवैय्या दलालों के प्रति बहुत सख्त होता था। थानों में दलाली नहीं होती थी। आबिद रजा के समय में सभी दलाल बहुत परेशान रहते थे, आज सारे दलाल सक्रिय हैं और बदायूं की जनता का खून चूस रहे हैं।
मुस्लिम समाज के लोगों ने हाथ उठाकर यह तय किया कि हम सिर्फ और सिर्फ आबिद रजा के साथ हैं, 2022 के चुनाव में विधायक बनने के लिए अल्लाह से दुआ करते हुए कहा कि हम आज से ही मेहनत में जुट जायेंगे। हिंदू भाइयों को भी अपने साथ जोड़ेंगे और इंशा अल्लाह आबिद रजा को विधायक बना कर मानेंगे। मंच पर मौलाना अफलाक रजा उवैसी जिला अध्यक्ष मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ऑफ इंडिया, मौलाना अमजद अली, मौलाना अब्दुल रज्जाक, मौलाना फिरासत रजा, हाफिज अरमान रजा, मौलाना शमीम हुसैन कादरी, अतीकुर्र रहमान कादरी, हाफिज असलम, हाफिज इरशाद, हाफिज अमीनुद्दीन उद्दीन नोमानी और हाफिज इफ्तिखार हुसैन कादरी मौजूद रहे।
सम्मेलन में भूरे अली अंसारी, अंसार, शमीम चौधरी, अनीस सिद्दीकी, डॉ. रजाक, नूर उद्दीन अंसारी, गुलशन अंसारी, समीउद्दीन गाजी, अखलाक अंसारी, राशिद अंसारी, आसिफ सैफी, अमीन अंसारी, फखरुद्दीन गाजी, सलीम बाबू अंसारी, हशमत सलमानी, पप्पू अंसारी, आरिफ खान, सईद अहमद अंसारी, शेर मोहम्मद अंसारी, अनीस फारुकी, मुस्ताक अंसारी, नईम खान, सलीम अंसारी, राहत अली चौधरी, मास्टर मुनव्वर अंसारी, रईसुल अंसारी, रज्जाक अंसारी, जलालुद्दीन अंसारी, इसरार मंसूरी, इमरान मंसूरी, इसरार सैफी, शहंशाह आलम, अब्दुल्ला चौधरी, बबलू गाजी, शराफत गाजी, जुल्फिकार गाजी, शबाब गाजी, मोहम्मद नबी अंसारी, मुजीबउल हसन चौधरी, कय्यूम चौधरी, शुवराति चौधरी, मोहम्मद नबी चौधरी, अत्तन अंसारी, आदिल कुरैशी, अकील कुरैशी ,अमीर उद्दीन अंसारी, शब्बीर सैफी, अयूब सैफी, जहांगीर अंसारी, मुशीर सैफी, जाहिर चौधरी और मुहव्वे चौधरी सहित हजारों लोग मौजूद रहे।
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