बदायूं नगर पालिका परिषद में हजारों रूपये प्रतिदिन की हेरा-फेरी की जा रही है लेकिन, सरकारी धन की किसी को कोई चिंता नहीं है। सबका साथ, सबका विकास और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था के दावे की जगह चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल नजर आ रहा है। जिसको जितना अवसर मिल रहा है, वह उतना खुलेआम लूट रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि खुलेआम लूट करने के बावजूद आम जनता से सर्वाधिक सम्मान की भी अपेक्षा की जा रही है।
बताते हैं कि बदायूं नगर पालिका परिषद पार्किंग का ठेका देती है, जो 31 मार्च को समाप्त हो चुका है। सब कुछ सही चल रहा था, इसलिए नये सत्र का ठेका 31 मार्च से पूर्व ही हो जाना चाहिए था लेकिन, जान कर ठेका नहीं दिया गया। मार्च के बाद, अप्रैल और मई का माह गुजर गया एवं जून भी जाने के कगार पर है पर, ठेका अभी तक नहीं दिया गया है।
सूत्रों का कहना है कि बदायूं क्लब के सामने एवं शहर के मुख्य चौराहों पर दबंग किस्म के लोग अवैध रूप से निरंतर वसूली कर रहे हैं। बस से 30 रुपया प्रति चक्कर, टैंपो से 30 रूपये और मैजिक से पचास रूपये वसूले जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि हर दिन लगभग 70 हजार रुपया वसूला जा रहा है, जो पालिका के खाते में जा रहा है या, नहीं, इस बारे में किसी को पता नहीं है।
समाजवादी पार्टी की सरकार में दाल में नमक के बराबर घोटाला हो रहा था, जिसे आम जनता सहन नहीं कर पा रही थी। तंग आकर जनता ने स्वच्छ और पारदर्शी व्यवस्था की लालसा में परिवर्तन कर दिया लेकिन, हुआ एक दम उल्टा। अब पूरी दाल ही निगली जा रही है। जनता सब कुछ खुली आँखों से देख रही है। लोगों का कहना है कि अंधे के हाथ बटेर लगती है तो, ऐसा ही होता है पर, चुनाव तक यह सब देखना भी है और झेलना भी है।
जनता की देखने और झेलने की मजबूरी हो सकती है, क्योंकि जनता के पास वोट के अलावा कोई और शक्ति नहीं है पर, शासन-प्रशासन की मजबूरी समझ से परे है। सरकारी धन का दुरूपयोग होने से शासन-प्रशासन नहीं रोकेगा तो, इसका दुष्परिणाम लोकसभा और फिर विधान सभा चुनाव पर भी पड़ेगा।
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