बदायूं जिले में खुले में शौच और प्लास्टिक प्रतिबंध करने का असर देखना हो तो, बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं है। शहर से ही जिले के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। शहर के नाले कूड़ा घर और शौचालय बने हुए हैं लेकिन, पालिका प्रशासन को इस सबसे कोई अंतर नहीं पड़ रहा है।
शहर के बाहरी क्षेत्रों के हालात नर्क से भी बदतर नजर आ रहे हैं। बात घनी आबादी वाले प्रमुख स्थानों की करें तो, बीच शहर के भी हालात भयावह ही नजर आ रहे हैं, जबकि जिला संक्रामक बीमारियों की चपेट में है। लाबेला चौक शहर का प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित चौराह माना जाता है, यहाँ नाले की स्थिति यह है कि देखने भर से लोगों की हालत खराब हो जाती है। नाला प्लास्टिक से पटा हुआ है, साथ ही सुबह-शाम खुलेआम लैट्रीन भी की जाती है, जिससे चारों ओर दुर्गंध फैली रहती है।
सरकार स्वच्छता अभियान चला रही है। अभियान की सफलता के लिए सरकार रुपया पानी की तरह बहा रही है लेकिन, पूरी निधि घोटाले की ही भेंट चढ़ती नजर आ रही है। हालाँकि प्रशासन गांवों और कस्बों को खुले में शौच मुक्त करने का दावा करता रहा है। प्रशासन प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने का भी दावा करता दिख रहा है लेकिन, सच्चाई कुछ और ही है। हालाँकि सच्चाई डीएम के संज्ञान में है, उन्होंने प्लास्टिक और खुले में शौच को लेकर पुनः कड़े दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
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