बदायूं के बसपा नेता अति उत्साह में ऐसी गलती कर गये कि प्रकरण हाईकमान के संज्ञान में पहुंच गया, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई भी हो सकती है। जी हाँ, कार्यकर्ता सम्मेलन में आज हाथी की विशाल प्रतिमा नजर आई, पर वह बसपा के चुनाव चिन्ह से पूरी तरह भिन्न थी, उसका रंग नीले की जगह काला था, साथ ही उसके मस्तक पर त्रिशूल का तिलक भी लगा था, जिसे देख कर तमाम मुस्लिम व दलित वर्ग के लोग खिन्न नजर आये। चौंकाने वाली बात यह है कि बसपा नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने भी हाथी को नहीं हटवाया।
बदायूं में पुलिस लाइन चौराहे के निकट मिशन कंपाउंड में आज बहुजन समाज पार्टी का कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया गया। मंच के ठीक बराबर में ट्यूब को कपड़ा पहना कर बनाया गया रेडीमेड विशाल हाथी खड़ा था। हाथी बसपा का चुनाव चिन्ह है, जिसका रंग नीला है और बसपा का हाथी सीधा खड़ा दिखाई देता है, लेकिन सम्मेलन में खड़े इस हाथी का रंग काला था एवं हाथी सूंड को भी ऊपर उठाये हुए नजर आ रहा था, साथ ही हाथी के मस्तक पर त्रिशूल के रूप में सफेद रंग का तिलक भी लगा था, जिससे वह बसपा के चुनाव चिन्ह की जगह देवता का प्रतीक लग रहा था, इसीलिए मुस्लिम व बौद्ध धर्म से संबंध रखने वाले दलित वर्ग के तमाम लोग खिन्न नजर आये।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि नसीमुद्दीन सिद्दीकी रहे। सम्मेलन में जिला कार्यकारिणी के समस्त पदाधिकारियों, जिले के विधायकों, घोषित प्रत्याशियों के साथ मंडल व जोन क्षेत्र के भी बड़े पदाधिकारी मौजूद रहे, लेकिन किसी ने भी मंच से देवता के प्रतीक नजर आ रहे और तमाम लोगों की भावनाओं को आहत कर रहे हाथी को हटवाने का निर्देश नहीं दिया। माना जा रहा है कि यह प्रकरण बसपा सुप्रीमो मायावती के संज्ञान में पहुंच गया, तो दोषी लोग कार्रवाई से बच नहीं पायेंगे।
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